इस बार हम अपने पाठकों के लिठà¤à¤• नया संसार लेकर आठहैं… चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से खेलने वाला, रोमांचक यातà¥à¤°à¤¾à¤à¤‚ करने वाला à¤à¤• नौजवान… मान सिंह चमà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¤¾à¤² … जो पृथà¥à¤µà¥€ की विराट काया और उसकी तीखी ढलानों, खड़ी ऊंचाइयों को अपनी गाड़ी के पहियों से महसूस करता है… जो कई सालों से देश à¤à¤° की कार रैलियों में à¤à¤¾à¤— लेता आ रहा है और पिछले चार सालों से हिमालयन कार रैली में हिमालय से टकà¥à¤•र ले रहा है। हिमाचल मितà¥à¤° के लिठबातचीत करने सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा और अनूप सेठी उनके घर गà¤à¥¤ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से उनके अनà¥à¤à¤µ सà¥à¤¨à¥‡à¥¤ बातचीत के कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अंश आपके लिअ
(सन 2008 के à¤à¤• इतवार की शाम। मà¥à¤‚बई के मलाड उपनगर में चंमà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¤¾à¤² साहब का फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿà¥¤ घर में मानसिंह और उनकी पतà¥à¤¨à¥€ नीना ही हैं। माता-पिता हिमाचल गठहà¥à¤ हैं, बचà¥à¤šà¥‡ नीचे सेहन में खेलने। चाय नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद टेप रिकॉरà¥à¤¡à¤° टेसà¥à¤Ÿ करके à¤à¤• तरफ सोफे पर हम दोनों, हमारे सामने के सोफे पर नीना और हम दोनों के बगल की खिड़की के आगे दीवान पर मान सिंह बैठे हैं… बातचीत के लिठतैयार…)
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : रैली में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ कैसे हà¥à¤ˆ?
मान सिंह : शायद सनॠ1994-95 की बात है कि मेरा दोसà¥à¤¤ रोहित कंसारा रैली में जाया करता था और मैं कà¤à¥€ कà¤à¥€ उनके साथ जाता, उनके मददगार की तरह।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : मददगार? यानी किस रूप में?
मान सिंह : पहले जब रात मेें रैली हà¥à¤† करती पूना और नासिक की तो मैं शनि रवि को उनके संग गाड़ी में पेटà¥à¤°à¥‹à¤² à¤à¤°à¤¤à¤¾, सामान उठाता, टायर बदलता। और जरूरत पड़े तो उनकी मालिश à¤à¥€ करता।
अनूप : ओह! जैसे तारा रंप पंम फिलà¥à¤® का नायक करता है?
मान सिंह : (हंसते हैं) वो फिलà¥à¤® तो मैंने नहीं देखी पर सà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¤¸à¥‡ ही सीखते हैं। और फिर शायद उस फिलà¥à¤® में रेसिंग है, रैली नहीं। … हां तो मैं कह रहा था कि शà¥à¤°à¥‚आत à¤à¤¸à¥‡ हà¥à¤ˆ थी। और फिर अगले साल नासिक रैली में मैंने नेविगेटर की à¤à¥‚मिका की।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : वो कà¥à¤¯à¤¾ होता है?
मान सिंह : यानी डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° के बगल में बैठना और उसे दाà¤à¤‚ बाà¤à¤‚, नीचे ऊपर सारे संकेत देते रहना। इसे टयूलिप पà¥à¤¨à¤¾ कहते हैं।
अनूप : कà¥à¤¯à¤¾ वो नकà¥à¤¶à¥‡ के हिसाब से पà¥à¤¤à¥‡ हैं या याद रहता है वो रसà¥à¤¤à¤¾?
मान सिंह : नहीं, ये संकेत बनाने पड़ते हैं पहले से। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° और उसका नेविगेटर, जिस रोड पर गाड़ी दौड़ानी होती है, उस पर à¤à¤• दो बार धीमी गति से गाड़ी चलाते हैं और डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° जो जो बताता जाता है, उसे नेविगेटर लिखता जाता है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : यानी यह तैयारी करने जैसा है?
मान सिंह : जी। जैसे आप हिमाचल जाà¤à¤‚, और नादौन से देहरा आना हो तो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° लिखाà¤à¤—ा – सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ फिफà¥à¤Ÿà¥€ x ईजी लेफà¥à¤Ÿ x ईजी राइट x हंप x डाउनहिल x डबल कॉशन। अगली बार थोड़ा तेज आà¤à¤‚गे, 60-70 की सà¥à¤ªà¥€à¤¡ में। नेविगेटर पà¥à¥‡à¤—ा, डाइवर चलाà¤à¤—ा। टैसà¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤—ा कि लिखे गठसंकेत रासà¥à¤¤à¥‡ से मैच हो रहे हैं या नहीं। यूं पेस नोट बन जाता है। तो नासिक में पहली बार मैं वील के पीछे बैठा और मेरे दोसà¥à¤¤ को लगा कि मैं उससे तेज था। और फिर अगली बार वो मेरा नेविगेटर बना। यानी हम दोनों à¤à¥‚मिकाà¤à¤‚ बदल सकते थे। वैसे हिमालयन रैली सबसे कठिन होती है। होने को तो सीधे मैदानी रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ à¤à¤•- दिन की चैमà¥à¤ªà¤¿à¤¯à¤¨à¤¶à¤¿à¤ª होती है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : अचà¥à¤›à¤¾! कà¥à¤¯à¤¾ हिमालयन रैली सबसे कठिन है?
मान सिंह : अगर आप कठिनाई का 1 से 10 तक का माप बनाà¤à¤‚ तो हिमालयन रैली को साà¥à¥‡ नौ का अंक मिलेगा।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : यह तो हà¥à¤ˆ सीधे रैली में आने की बात। लेकिन वो कहां से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जिसे गाड़ी से मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ की शà¥à¤°à¥‚आत कह सकते हैं?
मान सिंह : यह तो मेरे पिता के जरिठही हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे पिता बाई रोड हमें हिमाचल ले जाते थे, बचपन में जब जब छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आतीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सारा हिमाचल यूं ही घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ मणिकरà¥à¤£, मनाली, चंबा, डलà¥à¤¹à¥Œà¤œà¥€.. सब जगह बाई रोड…
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : गाड़ी कब सीख ली थी?
मान सिंह : गाड़ी मैंने नवीं या दसवीं तक सीख ली थी। लाइसेंस बाद में बनता रहा। और फिर बिजनेस à¤à¥€ आटोमोबाइल का ही था।
अनूप : हां, यह à¤à¥€ तो à¤à¤• बात है।
मान सिंह : शायद खून में ही मिल गया होगा यह सब।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो कà¥à¤¯à¤¾ रिशà¥à¤¤à¤¾ है आपका गाड़ी से? कà¥à¤¯à¤¾ वह आपके लिठखिलौने की तरह होती है?
मान सिंह : हां। गाड़ी चलाता हूं तो समà¤à¤¤à¤¾ हूं कि उसे कहां दरà¥à¤¦ है.. कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¬à¥à¤²à¤® है.. और जब कà¤à¥€ गैराज में जाते हैं तो मैं खà¥à¤¦ बताता हूं कि यह यह खराबी है.. यह यह काम करो।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : वैसे हिमालय के अलावा यह रैलियां और कहां कहां होती हैं?
मान सिंह : नासिक रैली होती थी। वो अब बंद हो गई है। पूना वाली à¤à¥€ बंद होने वाली है। करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• में चिकमंगलूर में होती है। चंडीगॠसे होती है हिमायल की तरफ। और नागालैंड की होती है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : अचà¥à¤›à¤¾ यह बताइठकि जब आटोमोबाइल कंपनियों से इन रैलियों का संबंध है तो सà¥à¤ªà¥‰à¤¨à¥à¤¸à¤°à¤¶à¤¿à¤ª की कमी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है?
मान सिंह : कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनकी रेसिंग जैसी पापà¥à¤²à¥ˆà¤°à¤¿à¤Ÿà¥€ नहीं है। मीडिया कवरेज à¤à¥€ तो बहà¥à¤¤ कम है। रेसिंग à¤à¤• गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड में होती है। दरà¥à¤¶à¤• à¤à¥€ वहीं बैठते हैं। उसी टà¥à¤°à¥ˆà¤• में बार बार घूमना होता है। कैमरे à¤à¤• जगह लगाना आसान होता है। जबकि हमारी रैली तो कहां से कहां चली जाती है। पहाड़ों पर, दूर दूर.. कैसे दिखा पाà¤à¤‚गे। वो विजà¥à¤…ल नहीं बन पाती। हम बस अपनी कार पर बà¥à¤°à¤¾à¤‚ड नाम लगाते हैं जो टीवी पर रिकॉरà¥à¤¡ नहीं हो पाते। यहां तो कहीं बीस किलोमीटर पर कैमरा होगा। जबकि यह रेसिंग से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कठिन सà¥à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ है। मीडिया कवरेज कम है तो सà¥à¤ªà¥‰à¤¨à¥à¤¸à¤° à¤à¥€ कम मिलते हैं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : आपको रैली ही जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद आई? वही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चà¥à¤¨à¥€?
मान सिंह : शायद इसमें जो रोमांच है, जो चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ है, उसी की वजह से।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : कà¥à¤¯à¤¾ कहीं हिमालय का आकरà¥à¤·à¤£ है? पहाड़ बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हैं?
मान सिंह : हां शायद! पर कà¥à¤› अजीब सा होता है। जब मैं मà¥à¤‚बई में बैठा होता हूं, तो हिमालय के बारे में सोचता रहता हूं। पर जब मैं वहां पहà¥à¤‚च जाता हूं तो मà¥à¤‚बई की याद सताती है। … कि यार इतने आराम से सोठथे घर में .. कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आ गठइतनी सखà¥à¤¤ सरà¥à¤¦à¥€ में ठिठà¥à¤°à¤¨à¥‡… हर सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे उठना पड़ता है, खाने का ठिकाना नहीं, रात को बारह-बारह बजे सोते हैं, गाड़ी को रिपेयर करना होता है। सात दिन में थक कर चूर हो जाते हैं।
अनूप : वहां कà¥à¤› इंतजाम होते हैं?
मान सिंह : बहà¥à¤¤ कम। इतनी उंचाई पर तो सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के चिहà¥à¤¯à¤¨ à¤à¥€ दिखाई नहीं पड़ते।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : रैली किन दिनों में होती है?
मान सिंह : अकà¥à¤¤à¥‚बर का मौसम अचà¥à¤›à¤¾ होता है। बरà¥à¤« गिरना बस शà¥à¤°à¥‚ ही होने वाला होता है। बरसात में तो रासà¥à¤¤à¥‡ बहà¥à¤¤ खराब हो जाते हैं। अà¤à¥€ जो रैली हà¥à¤ˆ वो तीसरे ही दिन बंद हो गई थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¥à¤¨à¥‹à¤«à¥‰à¤² शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी। बाद के पांच दिन कैंसिल कर दिठगठथे।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो फिर रिजलà¥à¤Ÿ कैसे निकाले?
मान सिंह : वहीं तक के आधार पर।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : अà¤à¥€ तक आपने कितनी रैलियों में हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया?
मान सिंह : तीन।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : पूरी कितनी हà¥à¤ˆà¤‚?
मान सिंह : बाकी की दो पूरी हà¥à¤ˆà¤‚। पर इस बार ….
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : इस बार तो आपने छलांग ही लगा दी खाई में… वो जो अनà¥à¤à¤µ रहा, वो बताइà¤
मान सिंह : (कà¥à¤› देर की खामोशी जैसे उन कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को याद करते हà¥à¤) इस बार शायद कà¥à¤› ओवर कॉनà¥à¤«à¤¿à¤¡à¥‡à¤‚ट थे। शिमला से चले थे कोटखाई की तरफ। रासà¥à¤¤à¥‡ में गà¥à¤®à¥à¤®à¤¾ गांव आया। वहां से सेब के बाग और à¤à¤²à¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤¨ पेड़ों का जंगल है। उनके बीच से होकर 33 किलामीटर का à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤š था। जहां वो खतà¥à¤® होने वाला था, उस गांव का नाम था उमलदार। रैली के 45 लोगों में से कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ के सà¥à¤°à¥‡à¤¶ राणा सबसे तेज थे। दूसरे नंबर पर मेरा टाइमिंग था।
अनूप : यह दिन का वकà¥à¤¤ था? कितने बजे शà¥à¤°à¥‚ किया था चलना?
मान सिंह : हां सà¥à¤¬à¤¹ सवा सात बजे फà¥à¤²à¥ˆà¤— ऑफ हà¥à¤† था। गà¥à¤®à¥à¤®à¤¾ से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था। शिमला से तो छ: बजे निकले थे। यह सà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ पूरी हà¥à¤ˆà¥¤ फिर दूसरा था खदराला से बरदाश। वहां पलटी गाड़ी।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : कैसे हà¥à¤† यह सब?
मान सिंह : घाटी थी। यह तो अचà¥à¤›à¤¾ हà¥à¤† कि पहले ही हो गया। आगे तो घाटी और गहरी थी।
अनूप : हà¥à¤† कà¥à¤¯à¤¾?
मान सिंह : मà¥à¤à¥‡ लगता है कि शायद टायर पंकà¥à¤šà¤° हà¥à¤† पीछे वाला… सà¥à¤ªà¥€à¤¡ लगà¤à¤— 85 की थी। गाड़ी उतराई पर जा हरी थी। टरà¥à¤¨ किया तो दाईं तरफ गहरी घाटी थी। वहीं शायद आठबार पलटते हà¥à¤ गाड़ी नीचे पहà¥à¤‚च गई और रà¥à¤• गई।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : फिर? रेसà¥à¤•à¥à¤¯à¥‚ वाले आà¤?
मान सिंह : नहीं, कà¥à¤°à¥‡à¤¨ वाले आठथे।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो कà¥à¤¯à¤¾ आप लोगों को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने निकाला?
मान सिंह : नहीं। हम लोग तो खà¥à¤¦ ही ऊपर आ गठथे। सड़क किनारे बैठकर धूप सेकने लगे। हम लोग पानी पी रहे थे और चॉकलेट खा रहे थे। मैं आने जाने वालों को ओ. के. साइन दिखा रहा था कि सब ठीक ठाक है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सब आती जाती गाड़ियों के डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° पूछ रहे थे कि कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤†à¥¤ अगर मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› मदद की जरूरत होती तो मैं मैडिकल साइन दिखाता।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : कà¥à¤¯à¤¾ आपको पता चल गया था कि कà¥à¤› गड़बड़ है?
मान सिंह : हां पता तो चला था पर इसमें आप हमेशा सेफ महसूस करते हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम लोग गाड़ी में à¤à¤• केज यानी पकà¥à¤•े पिंजरे में होते हैं। 95 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ होते हैं। 5 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ चांस बचता है।
अनूप : तो?
मान सिंह : हमने विदडà¥à¤°à¥‰ कर लिया। गाड़ी तो कà¥à¤°à¥‡à¤¨ से उठाई गई।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : इस हादसे में डर नहीं लगा?
मान सिंह : नहीं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : (उनकी पतà¥à¤¨à¥€ से) आपको?
नीना : हमें तो पता ही नहीं था न। बस बाद में फोन आया कि गाड़ी का पारà¥à¤Ÿ खराब होने की वजह से विदडà¥à¤°à¥‰ कर लिया है।
मान सिंह : मैंने दरअसल डैडी को फोन कर दिया कि गाड़ी का ससà¥à¤ªà¥‡à¤‚शन टूट गया है। आइ à¤à¤® आउट ऑफ दि रेस। तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि अगले साल देखी जाà¤à¤—ी। शायद हमारा नेविगेटर थोड़ा अनाड़ी था। वो ठीक से कॉलà¥à¤¸ नहीं दे पा रहा था। लेट हो जाता था। संकेत हमारी सà¥à¤ªà¥€à¤¡ से मैच नहीं कर रहे थे।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : जब आप हिमालयन रैली में जाते हैं तो वहां के लैंडसà¥à¤•ेप को देख महसूस कर पाते हैं?
मान सिंह : जब रेकी करते हैं, तब देख पाते हैं। या जिस दिन थोड़ी देरी तक ही चलना हो और दोपहर में खतà¥à¤® हो जाठतो नजारे देखने का मजा आता है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : कैसे नजारे?
मान सिंह : रोहतांग के उस तरफ पेड़ पौधे नहीं हैं। सà¥à¤¨à¥‹ डेजरà¥à¤Ÿ हैं। लोग à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम हैं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : गांव वगैरह…
मान सिंह : हां मैं सबसे ऊंचे गांव में रहा हूं, किबà¥à¤¬à¤° नाम के । वहां à¤à¤• सà¥à¤•ूल à¤à¥€ है। 128 परिवार रहते हैं। किबà¥à¤¬à¤° से अगर वरà¥à¤¡ वà¥à¤¯à¥‚ लें तो आठकिलोमीटर पर चीन है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : रैली में ठहरने वगैरह कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ इंतजाम होता है?
मान सिंह : काजा में तो होटल है, केलंग के आगे नहीं है। बीच में à¤à¤• जगह आती है पाटसियो। यह टà¥à¤°à¤¾à¤‚जिट आरà¥à¤®à¥€ कैंप है। सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में यह कैंप à¤à¥€ बंद हो जाता है। वहां ठहराते हैं। खाना-वाना à¤à¥€ फौज वाले देते हैं। à¤à¤• रैली में वहां फंस चà¥à¤•ा हूं। बारा लाचा पास में.. 17300 फà¥à¤Ÿ उंचाई पर.. पाटसियो से आगे.. लेह की ओर जाते हà¥à¤.. यह इलाका जमà¥à¤®à¥‚ कशà¥à¤®à¥€à¤° में पड़ता है।
अनूप : तब कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† था?
मान सिंह : हमारा रात का पड़ाव पांग में था। यह à¤à¥€ à¤à¤• टà¥à¤°à¤¾à¤‚जिट कैंप है। वहां से हमें तांग लà¥à¤‚ग ला पास से घूम कर लौटना था। वहां पहà¥à¤‚चे तो बरà¥à¤« गिरनी शà¥à¤°à¥‚ हो गई। दिन में ही। किसी तरह पांग वापस पहà¥à¤‚चे। सà¥à¤¬à¤¹ आरà¥à¤—ेनाइजर कहने लगे कि निकलने की कोशिश करते हैं। लाइन बना कर चल पड़े। 10-15 आगे थे, वो तो निकल गà¤, पर जो पीछे रह गà¤, वो नहीं जा पाà¤à¥¤ फंस गà¤à¥¤ 25-30 गाड़ियां। हमें मनाली पहà¥à¤‚चना था। लेकिन बारा लाचा में फिर टायर फिसलने लगे। हम फंस ही गठथे। गाड़ियां साइड पे लगा दी गईं। आरà¥à¤®à¥€ के सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤²à¤¿à¤¯à¤¨ में बैठकर निकलना पड़ा तब जाकर 11 बजे पैटसियो पहà¥à¤‚चे। वहां छ: सात फà¥à¤Ÿ बरà¥à¤« गिर चà¥à¤•ी थी। आज à¤à¥€ याद है कि कमरा खूब गरà¥à¤® था। हीटर à¤à¥€ था। à¤à¤• कमरे में आठआठलोग रà¥à¤•े थे। कà¥à¤› को तो सिपाहियों के बैरकों में रहना पड़ा। मैंने अपने कमरे में मà¥à¤‚बई के लोगों को बà¥à¤²à¤¾ लिया था। वहां खूब अचà¥à¤›à¤¾ वकà¥à¤¤ बीता। दो दिन तक तो खाना-वाना बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ मिला, लेकिन फिर शायद करà¥à¤¨à¤² को डर लगने लगा कि उनके लोगों के लिठसà¥à¤Ÿà¥‰à¤• कम न हो जाठइसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें अंडे वगैरह देने शà¥à¤°à¥‚ किया। अनाज अपने लोगों के लिठबचाने लगे। बà¥à¤°à¥‡à¤¡ नहीं दी।
वहां से निकल कर हम केंलग आà¤à¥¤ दो रात रà¥à¤•े कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रोहतांग पास बंद था। किसी ने बताया कि अब खà¥à¤²à¤¨à¥‡ ही वाला है। गà¥à¤²à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤° काटने वाला लगा था। रात में वो रासà¥à¤¤à¤¾ साफ कर रहा था। तब जाकर हम वहां से निकले और मनाली पहà¥à¤‚चे।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : कà¥à¤¯à¤¾ कà¤à¥€ किसी गांव में या लोगों के घरों में रहने का मौका मिलता है या आप लोगों के लिठअलग ही इंतजाम होते हैं?
मान सिंह : अगर कहीं गाड़ी फंस जाठतो ही। वैसे वहां तो गांव à¤à¥€ नहीं हैं। लेह से पहले बारा लाचा कà¥à¤°à¥‰à¤¸ करने के बाद दारचा आखिरी गांव है जहां ढाबे हैं। केलंग के आगे à¤à¤¾à¤—ा नदी पर à¤à¤• जगह टैकà¥à¤¸à¥€ और टà¥à¤°à¤•ों के लिठइंतजाम है। उसके बाद पैटसियो में आरà¥à¤®à¥€ कैंप है। हालांकि लोग कहते हैं कि आसपास गांव हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि घोड़ों पर आते जाते लोग दिख जाते हैं। पर हमें तो गांव दिखते नहीं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो आपके लिठडà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤¿à¤‚ग का अनà¥à¤à¤µ ही पà¥à¤°à¤®à¥à¤– होता है? पूरा दिन तो उसी में जाता होगा। थà¥à¤°à¤¿à¤² ही रहती है या उस जगह से à¤à¥€ जà¥à¥œà¤¤à¥‡ हैं?
मान सिंह : हां जलà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤‚च जाà¤à¤‚ तो देखने को मौका मिल जाता है। फिर पहाड़ में जाकर वहां के सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ से अलग तो नहीं रह सकते।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : आपकी यातà¥à¤°à¤¾ और जो लोग मणीमहेश, कैलाश मानसरोवर की यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं में निकलते हैं, उनमें कà¥à¤¯à¤¾ फ है?
मान सिंह : हम तो बहà¥à¤¤ उंचाई की बात कर रहे हैं। मणीमहेश से बहà¥à¤¤ ऊंचे। जहां सिरà¥à¤« फौज के लोग ही जाते हैं। यह रेंज बà¥à¤¤à¥€ जाती है। मणà¥à¥€à¤®à¤¹à¥‡à¤¶ धौलाधार रेंज पर है। उसके ऊपर शिवालिक आते हैं। वहां दरà¥à¤°à¥‡ हैं। मैं 18000 फà¥à¤Ÿ की बात कर रहा हूं। तांग लà¥à¤‚ग ला लगà¤à¤— 17800 फà¥à¤Ÿ की ऊंचाई पर है। ताबो, किबà¥à¤¬à¤° à¤à¥€ नीचे ही रह जाते हैं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : à¤à¤¸à¥‡ में ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ वगैरह की दिकà¥à¤•त नहीं होती?
मान सिंह : ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ सिलेंडर साथ ले जाते हैं पर वहां शरीर धीमा पड़ जाता है। अगर टायर पंकà¥à¤šà¤° हो जाता है तो बहà¥à¤¤ समय लगता है लगाने में। जो पंकà¥à¤šà¤° आठमिनट में लगता था, उसके लिठबतà¥à¤¤à¥€à¤¸ मिनट लगते हैं। सांस फूलने लगती है।
अनूप : अचà¥à¤›à¤¾ यह बताइठकि जो इस गेम में आना चाहे वो कà¥à¤¯à¤¾ करे? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह काम तो खासा टेकà¥à¤¨à¤¿à¤•ल है?
मान सिंह : अà¤à¥€ तक कोई रैली सà¥à¤•ूल नहीं है। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में हो तो बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ होगा। मैं कोशिश कर रहा हूं कि कà¥à¤› शà¥à¤°à¥‚ हो पाà¤à¥¤
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो यह सब तकनीक ही है या जोश और सà¥à¤ªà¤¿à¤°à¤¿à¤Ÿ की बात है?
मान सिंह : बात तो सà¥à¤ªà¤¿à¤°à¤¿à¤Ÿ की ही है। पर सिरà¥à¤« उससे à¤à¥€ तो काम नहीं चलेगा न।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : तो नठलोग कà¥à¤¯à¤¾ करें?
मान सिंह : वे लोग पहले तो बाई रोड टà¥à¤°à¥ˆà¤µà¤² करना शà¥à¤°à¥‚ करें। और à¤à¤• बिंदास सोच हो। जो मौत के बारे में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सोचेगा, नहीं चल सकता। शायद इसीलिठआरà¥à¤®à¥€ और à¤à¤¯à¤°à¤«à¥‹à¤°à¥à¤¸ के लोग जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आते हैं।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा: अचà¥à¤›à¤¾ धन और रिसोरà¥à¤¸ के बारे में बताइà¤à¥¤
मान सिंह : हां पैसा तो इसमें चाहिà¤à¥¤ रैफà¥à¤Ÿà¤° किट ही 2 लाख का होता है। गाड़ी को बदलना पड़ता है। सà¥à¤ªà¤¾à¤‚सरर के बिना मà¥à¤¶à¥à¤•िल है। FAI और MAI से लाइसेंस लेना पड़ता है। और à¤à¤• बड़ी चीज, जो शायद हर बड़ी चीज में चाहिà¤à¥¤ यानी गà¥à¤°à¥‚। à¤à¤¸à¤¾ कोई हो जो चीजों को अपने अनà¥à¤à¤µ के फà¥à¤°à¥‡à¤® में देख सके। खाई में गिर जाने को à¤à¥€ जो देख सके।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : रैली के बाद आपको कैसा लगता है?
मान सिंह : बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगता है। शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहना मà¥à¤¶à¥à¤•िल ही है। यह सब जीवन à¤à¤° याद रहता है। मानो यहां हमें जिंदा रहने और सरà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤µà¤² की टेà¥à¤°à¤¨à¤¿à¤‚ग मिलती है। अगर बरà¥à¤« मेें फंस जाओ तो टायर जला लो। अगले दिन दूसरा जला लो। कà¥à¤¯à¤¾ खाओ कैसे खाओ। डीहाइडà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ से बचने के लिठपानी पीना होता है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : मतलब यह पूरी जिंदगी की टेà¥à¤°à¤¨à¤¿à¤‚ग है?
मान सिंह : हां। बरà¥à¤« गिरती है तो बरà¥à¤« को हाथ से पकड़ कर बॉल बनाते हैं। हाथों को कवर करने के बजाठबरà¥à¤« को छूते रहना चाहिà¤à¥¤ इमà¥à¤¯à¥‚न होने का तरीका है यह। नहीं तो नंबनैस आने लगती है। फà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥à¥…टबाइट होने लगती है। यह सब खतरनाक होता है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : आपके पिता तो आपको हिमाचल में घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ रहे। हिमाचल से कैसा रिशà¥à¤¤à¤¾ है आपका?
मान सिंह : हम लोग छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में अपने मामा के पास जाते थे। मामा हमें फिट रखने के लिठखेतों में काम करवाते थे। नदियों में तैरने ले जाते थे। मैंने खेतों में हल à¤à¥€ चलाया है। वो सब कà¥à¤› मेरे à¤à¥€à¤¤à¤° है।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : इस रिशà¥à¤¤à¥‡ और रैली में कà¥à¤¯à¤¾ कोई संबंध है?
मान सिंह : (सोच में पड़ गठसे) शायद अलग अलग हो…
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : à¤à¤¸à¤¾ तो नहीं कि अनकॉनà¥à¤¶à¤¸ में पहाड़ में जाने की अरà¥à¤œ छà¥à¤ªà¥€ हो?
मान सिंह : हां.. पता नहीं.. पर जब मैं पहाड़ों में जाता हूं और जब पहाड़ आ जाते हैं तो में डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को कहता हूं कि तà¥à¤® यहां मेरी जगह आओ। अब मैं चलाता हूं। यह à¤à¤• बात है। मà¥à¤‚बई से नासिक जाते हà¥à¤ कसारा घाट पर à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही à¤à¤¾à¤µ आता है। कà¥à¤› रिशà¥à¤¤à¤¾ तो होगा ही।
सà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤•ा : डर को कैसे जीतना होता है या फिर लगता ही नहीं?
मान सिंह : डर तो सबको लगता है। लेकिन डरने और न डरने के बीच संतà¥à¤²à¤¨ बनाना पड़ता है। जो मà¥à¤à¤¸à¥‡ चार मिनट पीछे है डर उसमें à¤à¥€ है, डर मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ à¤à¥€ है। पर मैं डर पर विजय पाता हूं और सà¥à¤ªà¥€à¤¡ बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ हूं। टाइमिंग की बात है। सà¥à¤ªà¥€à¤¡ बड़ी बात बन जाती है।
