जांच का तो मैं जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ हिमायती रहा हूं जी। पैदा होते ही जब मैंने आंखें खोलकर अपने
घर का मà¥à¤†à¤¯à¤¨à¤¾ किया तो घर में विडियो गेमà¥à¤¸, मोबाइल, लैपटॉप, à¤à¤¸à¥€, फà¥à¤² साइज का कलर टीवी वगैरह-वगैरह न पाकर फौरन à¤à¤—वान से यह जांच करवाने की मांग की थी कि जब जनà¥à¤® देकर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ ही था तो à¤à¤¸à¥‡ घर में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¥‡à¤œà¤¾, जहां मासà¥à¤Ÿà¤°à¤—िरी करके घर की दाल-रोटी चलती है। किसी नेता, अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾, कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿà¤° या किसी डॉन के घर पैदा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं किया? किसी मलाईदार विà¤à¤¾à¤— में तैनात बड़े अफसर के घर में à¤à¥€ अगर मेरी पोसà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग कर देता यानी कि जनà¥à¤® दे देता तो à¤à¤—वान जी का कà¥à¤¯à¤¾ घिस जाता?
चूंकि à¤à¤—वान ने इस तरह की किसी à¤à¥€ जांच के कोई आदेश नहीं दिà¤, इसलिठमैं आज à¤à¥€ अपनी इस मांग पर बदसà¥à¤¤à¥‚र कायम हूं … और सिरà¥à¤« इस मांग पर ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ मैं तो यह चाहता हूं कि इस मà¥à¤²à¥à¤• में बाकी जो कà¥à¤› à¤à¥€ हो रहा है या नहीं हो रहा है, उसकी à¤à¥€ जांच चलती रहनी चाहिà¤à¥¤ मसलन किस जनसेवक ने देश सेवा के नाम पर देश को कहां-कहां , कैसे-कैसे और कितना-कितना चूना लगाया, अपनी नालायक औलाद को कहां-कहां फिट करवाया, कितने गà¥à¤‚डे-मवालियों को थानों से छà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾à¤¯à¤¾, कितने विरोधियों को पिटवाया? कितनी जांच रिपोरà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को रदà¥à¤¦à¥€ में फिंकवाया या समाजसेवा करते हà¥à¤ किसी जनसेवक ने कितनी चांदी कूटी, कितनी डीलें कीं? जांच इस बात की à¤à¥€ होनी चाहिठकि जब मà¥à¤²à¥à¤• के सदनों में आपराधिक छवि के लोग जीतकर आ रहे हैं तो सà¥à¤µà¤šà¥à¤› छवि वाले माननीय सà¤à¤¾à¤¸à¤¦ अपना टाइम पास कैसे करते हैं या फिर सà¥à¤µà¤šà¥à¤› छवि के सà¤à¤¾à¤¸à¤¦à¥‹à¤‚ के बीच बैठकर असà¥à¤µà¤šà¥à¤› छवि वाले माननीयगण कà¥à¤¯à¤¾ महसूस करते हैं और इन छवियों के संगम में मà¥à¤²à¥à¤• के लोकतंतà¥à¤° की कà¥à¤¯à¤¾ छवि दिखती है?
चूंकि मैं और खासियतों के अलावा जाना-माना खेल पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ à¤à¥€ हूं लिहाजा उस नाते à¤à¥€ मैं इस बात की जांच की मांग करूंगा कि अपनी इंडियन कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ टीम में सारे के सारे खिलाड़ी ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिठगठहैं, कà¥à¤› लीडरों को मौका कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिया गया? कà¥à¤¯à¤¾ उनमें देश का गौरव बढ़ाने की कपैसिटी नहीं है? जब लीडर लोग अलग-अलग खेल संघों में अपनी अमूलà¥à¤¯ सेवाà¤à¤‚ देकर देश में खेलों को बढ़ावा दे सकते हैं तो बलà¥à¤²à¤¾ या गेंद हाथ में पकड़कर पिच पर जलवा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं दिखा सकते? पà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿à¤‚ग या पैंतरेबाजी में कà¥à¤¯à¤¾ लीडरों का मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ खिलाड़ी कर सकते हैं? हार का ठीकरा दूसरों पर फोड़ सकते हैं? नहीं न ! तो फिर लीडरों की चारितà¥à¤°à¤¿à¤• विशेषताओं का मà¥à¤²à¥à¤• ने कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ के मैदान में आज तक फायदा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं उठाया, कà¥à¤¯à¤¾ इसकी जांच होनी नहीं चाहिà¤?
इसके अलावा इस बात की à¤à¥€ जांच होनी चाहिठकि मà¥à¤²à¥à¤• में हॉकी, फà¥à¤Ÿà¤¬à¥‰à¤² गिलà¥à¤²à¥€-डंडा, कबडà¥à¤¡à¥€ आदि खेलों को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करने के लिठकिसी à¤à¥€ सरकार ने आज तक चीयर गरà¥à¤²à¥à¤¸ की सेवाà¤à¤‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं ली? इसके अलावा जांच यह à¤à¥€ होनी चाहिठकि मà¥à¤²à¥à¤• के खजाने की असली चाबी किसके पास होती है। जांच यह à¤à¥€ होनी चाहिठजी कि इस खजाने से निकला पैसा कहां जाता है?
इन सारी जांचों की मांग करते हà¥à¤ मैं यह à¤à¥€ अरà¥à¤œ करना चाहूंगा कि लेखक लोग à¤à¥€ इस देश की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अंग हैं लिहाजा जो लेखक वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ न लिखकर सिरà¥à¤« कविता , कहानी , उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ , आतà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾ या अनà¥à¤¯ फालतू फंड की चीजें लिख रहे हैं , उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जांच à¤à¤œà¥‡à¤‚सियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तलब करके यह पूछा जाना चाहिठकि वे वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं लिख रहे ? और जो लेखक वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ लिख रहे हैं , उन बारे जांच बिठाई जानी चाहिठकि वे वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिख रहे हैं ? उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में चारों ओर कà¥à¤¯à¤¾ वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ ही दिखता है ? कोई लैला – मजनू टाइप की पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानी नहीं दिखती ? कोई इंटरनेटिया इशà¥à¤• परवान चढ़ते नहीं दिखता ? चलते – चलते आखिरी मांग और वह यह कि बाकी जांचें हों न हों लेकिन यह जांच जरूर होनी चाहिठकि इस वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर कà¥à¤¯à¤¾ असर हà¥à¤† है ? माफ करना , यह अरà¥à¤œ करना तो à¤à¥‚ल ही गया कि अगर संपादक जी यह वà¥à¤¯à¤‚गà¥à¤¯ नहीं छापते तो इस बात की à¤à¥€ जांच होनी चाहिठकि इसे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं छापा गया?
Since the article has been published.. it is the duty of the investigating agency to find out how the decision of publishing this article was taken by the editor of the site. Whether it was under pressure from a politician or from a common man (like our writer). Whether the pressure from a common man can work?
Keep it up…