टीट- बीट

एक पुराना जुमला है….जब बदलता है रंग ज़माने का तो पंखे से भी गर्म हवा आती है…..

तो जनाब अपने शंख साहब यानि की श्रीमान राजेन्द्र राणा साहब के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. कार्बन क्रेडिट वाली सरकार के इस मीडिया सलाहकार के खाते में कालगर्ल का मसला कुछ इस तरह से क्रेडिट हुआ की जनाब सत्ता से डेबिट हो गए. और जब वक्त बुरा हो गया तो सब बुरे हो गए..वोह कलम घिस्सू भी जिनकी कलम जनाब को कलियुग का कर्ण करार देते नहीं थकती थी. ऐसे में एक साथ चंडीगढ़,हमीरपुर और शिमला की राजनीती चलने वाले शंक का निलंबन हेड क्वार्टर पतलांदर हो गया….

लेकिन चूंकि नेता तोनेता होता है और उसकी जान जनता होती है. सो निलंबन के इस समय में भी राणा साहब ने हिम्मत नहीं हरी और जनसमर्थन जुटाने के लिए नयी जुगत लड़ाई. जनाब सुजनपुर में हो रहे एक एहम सम्मलेन में अपनी बारात के साथ पहुंचे और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दे डाला. इस ज्ञापन में सुजनपुर को तहसील का दर्जा माँगा गया था. हालाँकि यह मांग कोई नाजायज नहीं थी लेकिन बहाने जनाब ने मुख्यमंत्री पर यह कह कर रोब डालना चाह की इसपर पांच हज़ार लोगों के दस्तखत हैं.

बस यहीं बात बिगड़ गयी. उनकी यह हिमाकत धूमल साहब को इतनी नागवार गुजरी की वोह सभी के सामने चढ़ बैठे राणा साहब पर. मौके पर मौजूद लोगों की मानें तो धूमल ने शंख को खूब बजाया. इतना की एक बारगी तो यह लगा की शंख नहीं ढोल है. अब राणा साहब परेशान हैं की आखिर गलती कहाँ हुई . अब उन्हें कौन बताएं की जनाब गलत आप नहीं आपकी टाईमिंग है…यानि की समय ख़राब है.

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