à¤à¤¾à¤ˆ कितने किसà¥à¤® के होते है.?..सगे à¤à¤¾à¤ˆ, चचेरे à¤à¤¾à¤ˆ, कंगन à¤à¤¾à¤ˆ,पेटी à¤à¤¾à¤ˆ ,मà¥à¤¹à¤ बोले à¤à¤¾à¤ˆ,फौजी à¤à¤¾à¤ˆ, मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆà¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤ˆ और चोर-चोर मौसेरे à¤à¤¾à¤ˆ, शायद इतने ही किसà¥à¤® के लेकिन हाल ही में हिमाचल मैं संमà¥à¤ªà¤¨ हà¥à¤ उप-चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• नई किसà¥à¤® का पता चला है.यह किसà¥à¤® है ढैया à¤à¤¾à¤ˆà¤“ं की . हालाà¤à¤•à¤¿ सीधे तौर पर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ का इस तरह की à¤à¤¨à¥à¤¥à¥à¤°à¥‹à¤ªà¥‹à¤²à¥‹à¤œà¥€ से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन यहाठयह समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ संयोग से ही सही लेकिन बन ही गया. रोहडू से चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीते खà¥à¤¶à¥€ राम बलà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¤¤à¤¾ अपने पालमपà¥à¤° वाले पंडित जी के खास हैं यह सब जानते हैं और पंडित जी की खासियत है ढैया . जनाव अढाई बार मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहे.
नहीं समà¤à¥‡..? चलो गिनो…
पहली बार सतà¥à¤¤à¤° से असà¥à¤¸à¥€ के बीच में दूसरी बार नबà¥à¤¬à¥‡ से बानबे के बीच में.दोनों बार अढाई -अढाई साल के लिà¤. और फिर नाम तो इस बार à¤à¥€ चला था तो हो गठना अढाई . बार … और अब जरा ख़à¥à¤¶à¥€ राम जी का गणित लगाओ जनाब रो-पीट कर जीत तो गठलेकिन à¤à¤®à¥ à¤à¤² ठरहेंगे शांता जी के अढाई साल तक. तो जनाब दोनों आपस में कया लगे…..फिर नहीं समà¤à¥‡….अरे जनाब ढैया à¤à¥ˆà¤¯à¤¾…..
Born in 1971 at Hamirpur, Sanjeev has been a freelancer initially. He was the sub-editor of Ajit Samachar HIMACHAL EDITION at Jalandhar for 3 years when he shifted to Broadcast journalism with Nalini Singh’s famous AANKHON DEKHI. In 1998, he joined ZEE NEWS as a reporter for Shimla, joining MH-1 News in January 2007.
email: shimlazee[at]yahoo[dot]com
nice
Dear Sanjiv,
Kudos to you for writing such a crisp and crunchy pieces in Hindi. One such piece on Rana was excellent.