ढैया भैया ……….

भाई कितने किस्म के होते है.?..सगे भाई, चचेरे भाई, कंगन भाई,पेटी भाई ,मुहँ बोले भाई,फौजी भाई, मुम्बईया भाई और चोर-चोर मौसेरे भाई, शायद इतने ही किस्म के लेकिन हाल ही में हिमाचल मैं संम्पन हुए उप-चुनाव में भाइयों की एक नई किस्म का पता चला है.यह किस्म है ढैया भाईओं की . हालाँकि सीधे तौर पर चुनाव का इस तरह की एन्थ्रोपोलोजी से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन यहाँ यह सम्बन्ध संयोग से ही सही लेकिन बन ही गया. रोहडू से चुनाव जीते खुशी राम बल्नाहता अपने पालमपुर वाले पंडित जी के खास हैं यह सब जानते हैं और पंडित जी की खासियत है ढैया . जनाव अढाई बार मुख्यमंत्री रहे.

नहीं समझे..? चलो गिनो…

पहली बार सत्तर से अस्सी के बीच में दूसरी बार नब्बे से बानबे के बीच में.दोनों बार अढाई -अढाई साल के लिए. और फिर नाम तो इस बार भी चला था तो हो गए ना अढाई . बार … और अब जरा ख़ुशी राम जी का गणित लगाओ जनाब रो-पीट कर जीत तो गए लेकिन एम् एल ए रहेंगे शांता जी के अढाई साल तक. तो जनाब दोनों आपस में कया लगे…..फिर नहीं समझे….अरे जनाब ढैया भैया…..

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2 Comments

  1. says: manjeet sehgal

    Dear Sanjiv,
    Kudos to you for writing such a crisp and crunchy pieces in Hindi. One such piece on Rana was excellent.

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