कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चौंक गठन की मन में मरोड़ कैसे उठसकते है,उनकी जगह तो पेट है..लेकिन जनाब ताज़ा शोध के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• मन में à¤à¥€ मरोड़ उठते हैं, और यह शोध किया गया है अपने मनकोटिया साहब पर.
जी हाठवही मनकोटिया जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मायावती के हाथी से “गिरने “के बाद राजनीती को मायावी बताते हà¥à¤ अलविदा कह दिया था. à¤à¤• बारगी तो लगा की मनकोटिया का चैपà¥à¤Ÿà¤° बंद हो गया. लेकिन अब फिर से मनकोटिया के मन में मरोड़ उठने लगे हैं.
मातà¥à¤° कà¥à¤› माह की फà¥à¤°à¥à¤¸à¤¤ के बाद मनकोटिया ने अदालत-à¤-अवाम का गठन कर दिया. बतौर सà¥à¤µà¤‚यà¤à¥‚ जज उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस अदालत मैं शाहपà¥à¤° से कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ के सà¥à¤•à¥€ विलà¥à¤²à¥‡à¤œ के खिलाफ मà¥à¤•à¤¼à¤¦à¤®à¤¾ à¤à¥€ चलाया लेकिन अदालत-à¤-अवाम को अवाम का सहारा न मिलता देख वोह बीच में रह गया. बताते हैं की उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी अदालत की यह “तौहीन “पसंद नहीं आई है और अब वोह à¤à¤• बार फिर से राजनीती में लौटने की सोच रहे हैं ताकि फिर से आस-पास चमचों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ देख सकें. दà¥à¤¸à¤°à¥‡ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ मैं उनके मन में फिर से मरोड़ उठने लगे हैं. हालाà¤à¤•à¤¿ इस मरोड़ की à¤à¤• बजह चंदà¥à¤°à¥‡à¤¶ का à¤à¤°à¥€ बरसात में धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ को सूखा कर जाना à¤à¥€ बताया जा रहा है. धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ नेतà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤µ विहीन है और किशन कपूर को पांच साल बाद चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हारने की आदत है…यह बातें मनकोटिया के मन के इस मरोड़ को हिलोरे दे रही हैं.
Born in 1971 at Hamirpur, Sanjeev has been a freelancer initially. He was the sub-editor of Ajit Samachar HIMACHAL EDITION at Jalandhar for 3 years when he shifted to Broadcast journalism with Nalini Singh’s famous AANKHON DEKHI. In 1998, he joined ZEE NEWS as a reporter for Shimla, joining MH-1 News in January 2007.
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