कà¥à¤¯à¤¾ ५० % महिला आरकà¥à¤·à¤£ उचित है?
              - विशेष टिपणà¥à¤£à¥€
देश और पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में पà¥à¤°à¤—ति के गीत गठजा रहे हैं. महिलाओं को अधिकार, शिकà¥à¤·à¤¾ और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने की बात की जा रही है. नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ और समानता का उपदेश फैलाया जा रहा है. इस बीच ख़बर आती है की महिलाओं को आरकà¥à¤·à¤£ के जरिये पंच पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ बनाया जाà¤à¤—ा. यह उनको ताकत और अधिकार देने का माधà¥à¤¯à¤® बनेगा. बात में कितनी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है पर गौर फरमाना ज़रूरी है. यह सोचना ज़रूरी है की कà¥à¤¯à¤¾ आरकà¥à¤·à¤£ à¤à¤• मातà¥à¤° रासà¥à¤¤à¤¾ है, या सरकार की वोट रणनीति और अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से निजात पाने का आसान तरीका है? यह सवाल ज़रूरी है की हमारे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ को अचà¥à¤›à¥‡ पंच पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ चाहिठया लिंग, जाती या à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ गणित से चà¥à¤¨à¥‡ बà¥à¤¨à¥‡, असकà¥à¤·à¤® नेता? कà¥à¤¯à¤¾ आरकà¥à¤·à¤£ के जरिये हम सही नेतृतà¥à¤µ को ढूà¤à¤¢ पाà¤à¤‚गे? कà¥à¤¯à¤¾ हमारे देश पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की पà¥à¤°à¤—ति का यह à¤à¤•मातà¥à¤° और सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® रासà¥à¤¤à¤¾ है?
मैंने बहà¥à¤¤ गांव देखे है, उनमें रहा हूà¤, रीती रिवाजों को जानता हूà¤, और सामाजिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से पूरंतः वाकिफ हूà¤. इसलिठजो बात कहने जा रहा हूà¤, उसको à¤à¤• शहरी या पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥€ की बात कह कर उनà¥à¤¦à¥‡à¤–ा न कीजियेगा. बलà¥à¤•ि यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखियेगा की जो कह रहा हूठउसको देश विदेश में देख à¤à¤¾à¤² कर, सोच समठके कह रहा हूà¤. औरतों को अधिकार देना और चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में आरकà¥à¤·à¤£ देना दो अलग चीज़ें हैं. उपरी नज़रिये से देखा जाठतो पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ मालूम होता है. पर देखना यह है की à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किया जा रहा है, और इसका हमारे समाज और समय पर कैसा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ेगा? पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤° में सही फ़ैसला लेना बहà¥à¤¤ ज़रूरी होता है, उसका दतिवà¥à¤¯ हम अपने चà¥à¤¨à¤¿à¤‚दा नेताओं को देते है. हर à¤à¤¸à¥‡ फैसले का, जिससे हमारी ज़िंदगी पर गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़े को पूरी गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से देखना परखना चाहिà¤. अब मैं जो à¤à¥€ कहूà¤à¤—ा, इसी सोच, इसी उमà¥à¤®à¥€à¤¦ से कहूà¤à¤—ा, कि आप मेरी बात पर गौर करेंगे, और सरकार à¤à¥€ सही निरà¥à¤£à¤¯ लेगी.
३३% आरकà¥à¤·à¤£ से हिमाचल कि महिलों ने कà¥à¤¯à¤¾ हासिल किया? जिनके पति पंच थे, ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° वह महिलाà¤à¤ अब पंच है. मैंने जाना है कि या फ़िर वह औरतें चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ती हैं, जिनका बिना आरकà¥à¤·à¤£ के चà¥à¤¨à¥‡ जाने या चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता. उनमें से कितनी औरतें अपने गांव समाज के लिठहितकारी साबित होती हैं? आम तौर पर हिमाचली महिलाà¤à¤ बहà¥à¤¤ ही सीधी साधी, कम बोलने वाली, पति का कहना सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¥à¤°à¥€ मानने वाली मानी जाती है. शिकà¥à¤·à¤¾Â और जानकारी के हिसाब में वो देश के लगà¤à¤— सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ से आगे हैं. उनके पास आज के समय में कà¥à¤› à¤à¥€ कर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ कि शकà¥à¤¤à¤¿ और कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है. पर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ होता है उन लोगों को सामने लाना जो सही निरà¥à¤£à¤¯ लेने के साथ साथ, अपनी बात को मनवा कर, काम करवाने कि कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ रखते हों. चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में वो आगे आते हैं, जो आम से आगे बढकर à¤à¤¸à¥‡ मà¥à¤•ाम पर खड़े हो सकते हैं, जहाठवो जनता कि मà¥à¤¶à¥à¤•िलों को समठसकें, उनका हल निकाल सकें. इसमें दायितà¥à¤µ उसको मिलना चाहिठजो दायितà¥à¤µ के निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ पूरी लगन से कर पाये, पूरी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से कर पाये. à¤à¤• होंसला चाहिà¤, à¤à¤• रà¥à¤¤à¤¬à¤¾ चाहिà¤, à¤à¤• ज़जà¥à¤¬à¤¾ चाहिà¤. उसको उà¤à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ है, तो उà¤à¤°à¤¿à¤¯à¥‡ ज़रूर, लेकिन उसके लिठजो तैयारी चाहिà¤, वो ज़रूरी है. जब तक हिमाचली महिलाà¤à¤ ख़à¥à¤¦ ही आगे आ कर वोट लेने और जीतने में सकà¥à¤·à¤® नहीं होंगी, आरकà¥à¤·à¤£ से फ़ायदा कम, और नà¥à¤•सान जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ होगा.
आरकà¥à¤·à¤£ दोहरी मार है. वह तैयारी से बने, उचित लोगों को उà¤à¤°à¤¨à¥‡ नहीं देगा, और उचित और पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ तैयार महिला नेताओं (या नेतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚) को वो रà¥à¤¤à¤¬à¤¾ नहीं देगा, जो उनको मिलना चाहिà¤. यहाठअमेरिका में à¤à¥€ नारियों ने कà¤à¥€ ५०% तो कà¥à¤¯à¤¾ २०% आरकà¥à¤·à¤£ कि मांग नहीं की, कà¥à¤¯à¥‚ंकि जिन महिलाओं में कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ है, वह बिना आरकà¥à¤·à¤£ के à¤à¥€ आगे आà¤à¤à¤—ी. हिमाचल में तो महिलाओं ने हमेशा ही चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीते हैं. हाठवो आरकà¥à¤·à¤£ की बैसाखियों से नहीं आगे आई. समय की मांग यह नहीं की जितनी औरतें है, उतने ही मंतà¥à¤°à¥€ संतà¥à¤°à¥€ महिलाà¤à¤ हों. पà¥à¤°à¤—ति का मतलब यह नहीं की अगर आप अपने महिला होने की वजह से नौकरी पायें, कà¥à¤¯à¥‚ंकि यह उतना ही ग़लत है, जितना आपको महिला होने के वजह से नौकरी का ना मिल पाना था. मानलो यà¥à¤¦à¥à¤§ लड़ना है, तो हम कà¥à¤¯à¤¾ यह सोचेंगे की ५०% महिलाà¤à¤ लाओ, २५% आरकà¥à¤·à¤£ पिछड़ी जाती से, २५% फौजी किसी जनजाति से, या यह सोचेंगे कि यà¥à¤¦à¥à¤§ में विजयी होने के लिठवीरता, बाहà¥à¤¬à¤² और पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ से ऊपर कोई ज़रूरत नहीं. जीवन यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही होना चाहिà¤.
अधिकार दो, कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ दो, मौका दो. आगे आने का, और अपनी काबलियत दिखाने का. पर à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ नहीं. जनता उसी कि बात सà¥à¤¨à¤¤à¥€ है, जो उसको लगता है अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर नैतिक है, अपनी कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ के काबिल है, और जनता का आदर उसने अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से पाया है. जà¥à¤¯à¥‚ठलड़की होने का लड़की को दोष नहीं देना चाहिà¤, उसके आगे बढपाने में रोक नहीं होनी चाहिà¤, उसी तरह सिरà¥à¤«à¤¼ लड़की है, पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ बना दो की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ नहीं होनी चाहिà¤. à¤à¤• बराबर हक़ नहीं है यह. मौका सबको दो, लेकिन इनाम उसको दो, जो दौड़ में पà¥à¤°à¤¥à¤® आà¤. या फ़िर, यह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं करती सरकार कि दोबारा चà¥à¤¨à¤¾à¤µ करवाà¤, और इस बार आधी à¤à¤® à¤à¤² ठके लिठउमीदà¥à¤µà¤¾à¤° महिलाà¤à¤ हो? धूमल साहिब का राज पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ का राज है, वो अब किसी महिला को मà¥à¤–à¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं बना देते? पर à¤à¤¸à¤¾ करने का मैं विरोध करूà¤à¤—ा, कà¥à¤¯à¥‚ंकि मैं जानता हूठकी धूमल जी à¤à¤• सà¥à¤²à¤à¥‡ हà¥à¤, और तजà¥à¤°à¥à¤¬à¥‡à¤•ार नेता हैं. ताजà¥à¤¬ है कि वो महिला आरकà¥à¤·à¤£ जैसे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ उठा रहे है, जबकि ३३% आरकà¥à¤·à¤£ से हà¥à¤ फैदे नà¥à¤•सान का कोई ज़ईज़ा नहीं ले रहा? कà¥à¤¯à¤¾ उन के पास मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ कि कमी है? पर अगर वो कदम बिना सोच के उठाते रहेंगे तो चोट और मोच दोनों लगेंगी.
उमà¥à¤®à¥€à¤¦ दो, उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° दो, राजनीती में à¤à¤¾à¤— लेने का पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दो. जो जीत के आती हैं, उनमें से चà¥à¤¨ कर महिलाओं को पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ बनाओ, मंतà¥à¤°à¥€ बनाओ. सिरà¥à¤«à¤¼ इसलिठकि कोई पैदाइशी महिला है न उसको रोको न मà¥à¤«à¥à¤¤ में मंतà¥à¤°à¤¾à¤²à¤¯ दो, नौकरी दो. बिना पूरी महनेत के बिना मिली वसà¥à¤¤à¥ का न कोई मूलà¥à¤¯ पहचान सकता है, न उसका सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर सकता है. पहाड़ी में à¤à¤• कहावत है “होछे जो मिलया गोछा तिने पडेरी ने छेकà¥à¤¯à¤¾” और बिना सोचे समà¤à¥‡ पद बांटने से तो à¤à¤‡à¤¯à¤¾ नà¥à¤•सान ही होगा. महिलाà¤à¤ न तो पिछड़ी जाती कि है, न पिछड़ी जनजाति कि, और न ही उनकी अमीरी गरीबी उनके परिवारों से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है. उनको सब सहूलियतें है, सो अगर कोई आगे बढना चाहे, तो उसको पूरी पूरी सहायता दो. à¤à¤• उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ जगाओ. बदलाव कि नींव डालो. अधिकार दो, कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ दो, मौका दो. आगे आने का, और अपनी काबलियत दिखाने का. पर à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ नहीं.
विवेक शरà¥à¤®à¤¾
मंडी जिले के विवेक शरà¥à¤®à¤¾ शिमला, उना और कसौली में सà¥à¤•ूली शिकà¥à¤·à¤¾ के बाद आई आई टी दिलà¥à¤²à¥€ से सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• हà¥à¤. अब वह जॉरà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾ इनà¥à¤¸à¤Ÿà¥€à¤Ÿà¥à¤¯à¥à¤Ÿ ऑफ़ टैकà¥à¤¨à¥‹à¤²à¥‹à¤œà¥€, à¤à¤¤à¥à¤²à¤¾à¤¨à¥à¤Ÿà¤¾ (अमेरिका) से पी à¤à¤š डी कर रहे है. उनका विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का शोध à¤à¤µà¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ लेख-कवितायें पà¥à¤°à¤¾à¤•शित होते रहे है, पर उनकी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि मातृà¤à¥‚मि और मातृà¤à¤¾à¤·à¤¾ की साधना सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¥à¤°à¥€ है.       Â
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