आज हिमाचल निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ डा. परमार के 101 वें जनà¥à¤® दिवस पर हिमाचल और हिमाचल के बाहर याद किया जा रहा है | डा. परमार का जीवन पहाडों यहां के लोगों, यहां की à¤à¤¾à¤·à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, व परपराओं के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहा | डा. परमार मानते थे कि जब पहाडी लोग यहां की à¤à¤¾à¤·à¤¾, संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व परंपराओं तथा पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की माटी से लगाव रखेगे तà¤à¥€ हिमाचल का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² बनेगा | परनà¥à¤¤à¥ आज डा. परमार के सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ को पूरा करने के लिठà¤à¤• बार पà¥à¤¨: विचार करने व सà¤à¥€ को à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ होकर आगे बढà¥à¤¨à¥‡ का समय आ गया है |
पहाडी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ लà¥à¤ªà¥à¤¤ होती नजर आ रही है | पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के राजनेता जन हित à¤à¥à¤²à¤¾à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में लिपà¥à¤¤ हो गठहैं | पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बनाने व बचाने वाले डा. परमार यदि आज होते तो कितना दà¥à¤–ी होते यह अंदाजा सहजता से नही लगाया जा सकता |