1. आप डाà¤. यशवंत सिहं परमार के कà¥à¤² पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ रहे है काफी समय उनके साथ बिताया है आपका कà¥à¤¯à¤¾ अनà¥à¤à¤µ रहा?
मेरे पिता à¤à¤• परिवार के सदसà¥à¤¯ की तरह समà¤à¥‡ जाते थे वे उनके विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ और मै विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¸ पंडीत था और अब à¤à¥€ हूà¤| आज à¤à¥€ उनके à¤à¤• परिवार के सदसà¥à¤¯ की तरह समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलता है डाà¤. परमार की धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾ दिखावा नही था विवाह दशहरा या जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨à¥‹ के अतिरिकà¥à¤¤ मैंने उनà¥à¤¹à¥‡ कà¤à¥€ पà¥à¤œà¤¾ पाठकरते हà¥à¤ नही देखा था à¤à¤• दिन उनके मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ काल में ओकओवर के कमरो में घà¥à¤®à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मैंने à¤à¤• छोटा सा कमरा देखा, à¤à¤• चारक से पूछा यह कà¥à¤¯à¤¾ है जब उसने बताया कि यह डाà¤. साहब का पà¥à¤œà¤¾ घर है तो में सà¥à¤¨ कर सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ रह गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚किं मेरा बीसीयों साल का अनà¥à¤à¤µ था कि वे अलग से कà¤à¥€ पूजा पाठनही करते थे मैंने दरवाजा खोला वहां à¤à¤• आसन था सामने शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ओर अरà¥à¤œà¥à¤¨ विषाद गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रण-कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का चितà¥à¤° था ओर साथ ही धूप बतà¥à¤¤à¥€ का पैकिट व à¤à¤• बà¥à¤à¤¾ हà¥à¤† दीपक था बडी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से संवार कर दो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡ रखी हà¥à¤ˆ थी मैने उनà¥à¤¹à¥‡ उठा कर देखा तो à¤à¤• शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦ à¤à¤¾à¤—वत गीता थी ओर महाऋषि योगानंद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• योगिककथा मृतà¥, मै यह देख कर सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ रह गया यह दोनो पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡ अगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में लिखी थी मेने इनà¥à¤¹à¥‡ हिनà¥à¤¦à¥€ तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में पढा था मेरी कà¥à¤› शंकाओं का समाधान हà¥à¤† की उन पर जब जब à¤à¤¾à¤°à¥€ राजनेतिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• आपदाà¤à¤‚ आती थी तो पहाड की तरह दà¥à¤°à¥à¤¢ कैसे रहते थे समठआया गीता और योगी कथामृत ही उनका समबल थी गीता का उपदेश फल की आशाओं को छोड कर करà¥à¤® करेगा तो फल तो अवशà¥à¤¯ ही मिलेगा ओर योगानंद जी महाराज का संदेश कि तू करà¥à¤® किठजा जो घटित हो रहा है वह तो पूरà¥à¤µ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ ही है उसपर चलकर ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ सारी आपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥‡à¤²à¤¾ था| उनके जीवन की घटनाओं में इन दोनों ही महान चिनà¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ का चितà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ à¤à¤• बार नही अनेक बार देखने का सà¥à¤…वसर मà¥à¤à¥‡ मिला|
2. डाà¤. यशवंत सिहं परमार हिमाचल निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ व राजनेता के रà¥à¤ª में जाने जाते है परनà¥à¤¤à¥ उनके जीवन के सामाजिक तथा पारिवारिक पहलà¥à¤“ं के बारे में कोई नही जानता आप कà¥à¤¯à¤¾ कहेगें|
उनका पारिवारिक जीवन बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ नही रहा कारण कि वकालत करने के बाद उनà¥à¤¹à¥‡ माहाराज सिरमौर ने जज के पद पर नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दी परनà¥à¤¤à¥ ईषà¥à¤¯à¤¾ वश उनके विरोधियों को यह बात राज नही आई उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ राजा को कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ बताया कि यह सतà¥à¤¯à¤¾à¤—ृह से जà¥à¤¡à¥‡ है राजा ने उनà¥à¤¹à¥‡ 24 घणà¥à¤Ÿà¥‡ के à¤à¥€à¤¤à¤° सिरमौर छोडà¥à¤¨à¥‡ का आदेश दिया तथा वह अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को यतà¥à¤° ततà¥à¤° छोडकर सà¥à¤µà¤¤à¤¤à¥à¤°à¤‚ता संगà¥à¤°à¤¾à¤® से जà¥à¤¡ गठहिमाचल बन जाने के बाद और मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पद पाने के बाद à¤à¥€ वे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की और समगà¥à¤° धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ न दे पाठपरिणामतः अपने जीवन काल में अपने लिठà¤à¤• घर à¤à¥€ न बना पाà¤| यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ बचà¥à¤šà¥‹ की पढाई लिखाई à¤à¥‹à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की और उनका पूरा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहता है परनà¥à¤¤à¥ राजैनिक कठिनाईयों को à¤à¥‡à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‡ घर से बाहर आधिक रहना पढता था फिर à¤à¥€ उनका दांपतà¥à¤¯ जीवन परिवारिक जीवन बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° था उनके बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने नितांत सादा जीवन बिताया और पिता के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ होने का कà¤à¥€ कोई अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ लाठनही उठाया| डाà¤. वाई. à¤à¤¸à¥. परमार à¤à¤• महान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¥à¤µà¤¿ था उनकी आंखो में हिमाचल का ही नही समूचे उतà¥à¤¤à¤°à¥€ पहाडी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹ का विकास à¤à¤²à¤•à¤¤à¤¾ था हिमाचल उनका à¤à¤• पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ मंच था पहाडों को जब पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ का ढेर कहा जाता था वहां के जीवन को नरकीय à¤à¤µà¤‚ दयनीय जीवन समà¤à¤¾ जाता था तब वे पहाडों को देव à¤à¥‚मि तथा यहां की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं को देवीय परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª बताते थे यहां के गीतो और नृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में वे जीवन की कला देखते थे और कहते थे जब तक पहाडों में गीत और नृतà¥à¤¯ जिंदा रहेगें तब तक पहाड जिंदा रहेगें| वे हिमाचली à¤à¥‹à¤œà¤¨ ही पसंद करते थे तथा घैंडा सिडकॠअसकली कांजन की सरहाना करते हà¥à¤ थकते नही थे वे कहते थे यहां पर घी à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ में होता है परनà¥à¤¤à¥ वे खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹ को तल कर नही खाते थे यहां के लोग ही नही देवता à¤à¥€ नाचते है शिव तो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नटराज थे उनका कहना था कि पहाडी जीवन दयनीय जीवन नही है अपितॠसमृदà¥à¤§ जीवन है हां आधà¥à¤¨à¤¿à¤• उपकरणो का सडक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का नई नई तकनीक का उन तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जाना आवशà¥à¤¯à¤• है|मेरे देखते देखते उनहोने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिमाचल में सडको का सरà¥à¤µà¥‡ ही नही करवाया बलà¥à¤•à¤¿ बहà¥à¤¤ हद तक सडकों को बनवाया à¤à¥€ वे कहा करते थे कि सडकें पहाडों की जीवन रेखाà¤à¤‚ है| हिमाचली à¤à¥‹à¤œà¤¨ को वे केवल सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही नही खाते थे बलà¥à¤•à¤¿ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ काल में उनके यहां जो à¤à¥€ विदेशी आता था उनà¥à¤¹à¥‡ वे हिमाचली à¤à¥‹à¤œà¤¨ खिला कर उसके गà¥à¤£à¥‹ से अवगत करवाते थे|
3. हिमाचल विकास की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के बारे में उनका कà¥à¤¯à¤¾ विचार था? कà¥à¤¯à¤¾ उनका दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ सफल हà¥à¤†?
उनका कहना था हिमाचल à¤à¤¾à¤°à¤¤ का सरà¥à¤µà¤•à¥à¤·à¥‡à¤·à¥à¤Ÿ और समृदà¥à¤§ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ बनेगा इन समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को लेकर वे पंडित जवाहर लाल नेहरॠराषà¥à¤Ÿà¥ƒà¤ªà¤¤à¤¿ राधा कृषà¥à¤£à¤¨ गृह मंतà¥à¤°à¥€ लाल बहादà¥à¤° शाषà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से मिलकर विचार विमरà¥à¤¶ करते थे वे पहाडी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के विकास के बारे में लिखी गई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹ को निरनà¥à¤¤à¤° पढते थे और अपने मंतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ अधिकारियों के बीच परिचरà¥à¤šà¤¾ करते थे उनà¥à¤¹à¥‡ सà¥à¤µà¤¿à¤Ÿà¤œà¤°à¤²à¥ˆà¤‚डं बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ था वे उसी तरह का विकास हिमाचल में देखना चाहते थे उनके दिमाग में विकास की परिकलà¥à¤ªà¥à¤¨à¤¾à¤à¤‚ उà¤à¤°à¤¤à¥€ थी वे उनà¥à¤¹à¥‡ समà¥à¤¬à¤‚धित आधिकारियों के हृदय तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ का पूरा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते थे| फलतः यहां बाग बगीचों का बेमोसमी सबà¥à¤œà¥€à¤¯à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ होने लगा और उनके देखते देखते ही कà¥à¤› जिलों के किसान समृदà¥à¤§ होने लगे| उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ विदà¥à¤¯à¥à¤¤ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की रà¥à¤ª रेखा à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ की उनका कहना था कि हिमाचल अपनी à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¤•à¤® नदियों से उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करेगा और सà¥à¤µà¤¾à¤¬à¤²à¤‚बी ही नही à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° में अगà¥à¤°à¤£à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¥€ बनेगा|उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥€ à¤à¤µà¤‚ वणिकी विशà¥à¤µ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ विशà¥à¤µ का दूसरा विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है जो उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और वनो से समà¥à¤¬à¤‚धित अनà¥à¤¸à¤‚धान जन जन तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है वे नही चाहते थे कि पहाडों पर हल चले मिटà¥à¤Ÿà¥€ बहे वनो का विनाश हो उनका नारा था पहाडों पर हल चलाना पाप है वन नही होगें तो मिटà¥à¤Ÿà¥€ बह जाà¤à¤—ी पहाडी पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ के ढेर पातà¥à¤° रह जाà¤à¤—ें| पहाडों से बहने वाली नदीयां सतलà¥à¤œ बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ रावी चनाब आदि यदि जल से परीपूरà¥à¤£ रहेगी तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश समृदà¥à¤§ रह सकेगा| उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बहà¥à¤¤ सारे सकंलà¥à¤ª अपने जीवन काल में पूरे किठयदि उनà¥à¤¹à¥‡ दस 15 वरà¥à¤· और जीवन मिलता तो समà¥à¤à¤¤à¤ƒ यह पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ उनकी दिशाओं पर और आगे बढता यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ आज के राजनैताओं ने à¤à¥€ उनà¥à¤•à¥‡ ही पद चिनà¥à¤¹à¥‹ पर चल कर पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ को समृदà¥à¤§ बनाया है आज चल रही विदà¥à¤¯à¥à¤¤ परियोजनाà¤à¤‚ उसका जीवंत उदाहरण है परनà¥à¤¤à¥ जल जंगल और जमीन को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखने का और अधिक बढाने का काम अà¤à¥€ बाकी है वनो के अà¤à¤¾à¤µ में करोडो टन मिटà¥à¤Ÿà¥€ बहती जा रही है वे वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बारे मे६ संवेदनशील थे जब घर आकर वन में जाते थे तो उनके हाथ में à¤à¤• कैंची होती थी और जहां उनà¥à¤¹à¥‡ पेडों की पेदावार में रà¥à¤•à¤¾à¤µà¤Ÿ करने वाली टहनी दिखती थी उसे काट डालते थे|
4. आपने कितने वरà¥à¤· नौकरी की है? आपका शिकà¥à¤·à¤¾ तथा शिकà¥à¤·à¤•à¥‹ के लिठकà¥à¤¯à¤¾ कहना है?
मैने लगà¤à¤— 41 वरà¥à¤· अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ किया है शिकà¥à¤·à¤• की à¤à¥‚मिका समाजिक जीवन में अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है शिकà¥à¤·à¤• की à¤à¥‚मिका का à¤à¤• पहलू वहां à¤à¥€ दीखता है जब बचà¥à¤šà¤¾ घर में जाकर माता पिता के बताने पर कि दो जमा दो चार होते है यह मानने को तैयार नही होता और कहता है कि हमारी मैडम ने हमें दो जमा दो छः बताठहै| वासà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ मैडम ने दो जमा दो जमा दो छः बताठहोगें| परनà¥à¤¤à¥ उस मानस ने दो जमा दो छः पकड लिया है और माता पिता के बताने पर अपनी मैडम की बात को गलत मानने के लिठतैयार नही है कहते है बचà¥à¤šà¤¾ à¤à¤• कोरी सà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ होता है| विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में जो उसके चेतन व अचेतन मन पर अंकित हो जाता है वह जीवन à¤à¤° उसके साथ रहता है अतः अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• का गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨ होना सचेतन होना सपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ से संपन होना अति आवशà¥à¤¯à¤• है आज के अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• अधिकतर नोकर होते है गà¥à¤°à¥ नही| गà¥à¤°à¥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ अंधेरे को दूर करने वाला यदि अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• केवल उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की तरह होगा जो रातà¥à¤°à¥€ को ठीकारी पेहरा देता है जोर जोर से चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ है जागते रहो, और चोरी हो जाने पर कह देता है मैं तो सारी रात चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ रहा चोरी हो गई तो मैं कà¥à¤¯à¤¾ करà¥à¤‚|
गà¥à¤°à¥ पढाता ही नही दिशा निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ à¤à¥€ करता है शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸ जी की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में
गà¥à¤°à¥ कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° शिषà¥à¤¯ कà¥à¤‚ठहै घडी-घडी काढे खोट à¤à¥€à¤¤à¤° हाथ सहार दे बाहर मारे चोंट|काश! अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• /गà¥à¤°à¥ अपने गौरव को पहचानते और गोरवपूरà¥à¤£ जीवन जीकर देश के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को जगाते| अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• उसको कहते है जो अधà¥à¤¯à¤¨ करता है पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹ का à¤à¥€ और शिषà¥à¤¯ के मन का à¤à¥€ यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ आज à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹ की कमी नही है काशः की उनका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ अधिक होता मै à¥à¥ª साल का हो चला हूठखूब दोडता हूठखूब बोलता हूठà¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° मे à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करता हà¤| कà¥à¤› लोग पूछà¥à¤¤à¥‡ है कि कैसे समà¥à¤à¤µ है तो मै कहता हूठकी जब जब कà¤à¥€ कही अपना शिषय दिखते है और नमन करते है तो वह मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• कतरा खून दे जाते है उसी के सहारे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ और à¤à¤¾à¤—ा à¤à¤¾à¤—ा फिरता हूà¤|
5. साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में आपकी विशेष à¤à¤¾à¤—ीदारी रही है आपके कà¥à¤¯à¤¾ अनà¥à¤à¤µ रहे? कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ सारà¥à¤¥à¤• होते है?
साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ मेरे लिठखूद साकà¥à¤·à¤° होने का à¤à¤• कारण बना साकà¥à¤·à¤° होना केवल पडना लिखना नही था बलà¥à¤•à¤¿ परिचरà¥à¤šà¤¾ विवाद और संवादों के माधà¥à¤¯à¤® से जन चेतना को जगाना था पडना लिखना तो अकà¥à¤·à¤° पहचान तथा तीन अंकों की गिनती लिखना मातà¥à¤° था बाकी तो समगà¥à¤° रà¥à¤ª से आतà¥à¤® निरà¥à¤à¤° होना ही साकà¥à¤·à¤° का अरà¥à¤¥ था| बीज और खादों के समà¥à¤¬à¤‚ध में हम कहते थे किकोन सा बीज कीस मोसम में बोना है कोन सी खाद किस मातà¥à¤°à¤¾ में डालनी है यह सब कà¥à¤› लिख पढकर ही याद रह सकता है बिना पढे तो खादो और बीजो के जंजाल में आप उलठकर रह जाà¤à¤‚गे|
लोगो ने इसे समà¤à¤¾ और पढाई के साथ साथ बीजो और खादो की तरफ à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया| निरकà¥à¤·à¤° ही नही पढे लिखे लोग à¤à¥€ इस अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में साकà¥à¤·à¤° हà¥à¤| जो नही जानते थे उनà¥à¤¹à¥‡ à¤à¥€ नई नई जानकारियां साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में मिली| à¤à¤• माननीय जिलधीश शà¥à¤°à¥€ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जी राजगढ नोहरा हरिपà¥à¤°à¤§à¤¾à¤° संगडाह दौरे पर साकà¥à¤·à¤° रैलियां करने गठहà¥à¤ थे संगडाह से आते हà¥à¤ मारà¥à¤— में मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहने लगे कि साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ से तो बडा लाठहà¥à¤† मै à¤à¥€ सकà¥à¤·à¤° हà¥à¤† मà¥à¤à¥‡ पता चला कि जनता मै और अधिकारियों में तो बहà¥à¤¤ दूरी है|
साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ की तरह सारे अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ सारà¥à¤¥à¤• हो सकते है परनà¥à¤¤à¥ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ आधिकारियों à¤à¤µà¤‚ जन नैताओं का जà¥à¤¡à¤¨à¤¾ अतà¥à¤¯à¤‚नà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है नही तो जन अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ ना रहकर कागजी अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ मातà¥à¤° रह जाà¤à¤—ा|यदि गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ सà¥à¤¤à¤° पर विकास की बात की जाठतो आपकी राय में कà¥à¤¯à¤¾ किया जाना चाहिà¤?
हिमाचल के विकास में नदीयों नालो à¤à¥€à¤²à¥‹ का विशेष महतà¥à¤µ है परनà¥à¤¤à¥ विकास को यदि घर घर तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ है उसके लिठअधिक परियोजनाओं को निषà¥à¤ ा के साथ किया जाना बाकी है यहां अधिकतर लोग खेती का काम करते है खेती के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जल जंगल जमीन का होना अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤• है परनà¥à¤¤à¥ जंगलो का जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से विनाश हो रहा है वह महा पà¥à¤°à¤²à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ से कम à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ नही है यहां के पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ का किसान यदि जैविक खाद से उपजी साग सबà¥à¤œà¥€ और अन की पहचान बाहर दे सकेगा तो वह आतà¥à¤® निरà¥à¤à¤° ही नही सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ पूरà¥à¤£ जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर सकेगा| परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ यहां अधीक है पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के किसानो को जापान की तरह सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¾ बिजली पैदा करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ होनी चाहिठवे छोटे छोटे कारà¥à¤¯ करे और चीन की तरह कà¥à¤Ÿà¤¿à¤° उदà¥à¤¯à¥‹à¤— चलाकर देश में ही नही विदेशों में à¤à¥€ अपने पाà¤à¤µ पसार सके| गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ की तरह यहां दà¥à¤—à¥à¤§ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ की à¤à¤¾à¤°à¥€ समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ है बलà¥à¤•à¤¿ उससे à¤à¥€ आधीक à¤à¤• बार मà¥à¤à¥‡ गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में अमूल डैरी देखने का सोà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मिला वहां उस समय नौ लाख लीटर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ इकठà¥à¤ ा होता था उसके साथ ११० छोटे संगठन जà¥à¤¡à¥‡ थे उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हमें लोगो के घरो तक पहà¥à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ वहां à¤à¥ˆà¤‚सो को देखकर हमने पà¥à¤°à¤¶à¤¨ किया कि आप हमे गाय पालने के लिठकहते है और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥ˆà¤¸à¥‡ पालते है उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ मेरी टोपी को देखा और कहा आप हिमाचली लगते है अगर हमारे पास हिमाचल जैसे सदाबहार हो तो हम आधे à¤à¤¾à¤°à¤¤ को दूध दे सकते है|
6. पà¥à¤°. कà¥à¤› लोग आरोप लगाते है कि डा. परमार अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लिठउतना नही कर पाठजितना वे कर सकते थे|
उ. वैसे तो यह पà¥à¤°à¤¶à¤¨ ही उतà¥à¤¤à¤° दे रहा है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ उतना नही किया जितना कर सकते थे मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पद पर रहते हà¥à¤ तो वे अपने लिठकोठियां कारे सब कà¥à¤› कर सकते थे परनà¥à¤¤à¥ वे अपने लिठघर à¤à¥€ न बनवा सके या उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ बनाया नही उस समय उनका à¤à¤• छà¥à¤¤à¥à¤° राजà¥à¤¯ था परनà¥à¤¤à¥ वे अपने लिठऔर अपनो के लिठउतना ही कर पाठजितना हिमाचल के किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठकर सकते थे यही उनकी महानता थी जिससे हिमाचल असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया और हिमाचल वासियों ने उनà¥à¤¹à¥‡ हिमाचल निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ का गौरव पूरà¥à¤£ पद दिया|
मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ पद से तà¥à¤¯à¤¾à¤— पतà¥à¤° देने पर वह नाहन आठहà¥à¤ थे अपना मकान कोई नही था कालीसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के निकट उनके दूसरे लडके ने à¤à¤• छोटा सा मकान किराय पर लिया हà¥à¤† था डा. साहब उसी मकान में ठहरे हà¥à¤ थे पà¥à¤°à¥‹à¤®à¤¿à¤²à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ उनकी छोटी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जमà¥à¤®à¥‚ से आई हà¥à¤ˆ थी
हम दोनो कमरे में चरà¥à¤šà¤¾ कर रहे थे पà¥à¤°à¥‹à¤®à¤¿à¤²à¤¾ अतà¥à¤¯à¤‚त उदास थी कि पिता जी का अपना कोई घर नही है| नीचे चमà¥à¤¬à¤¾à¤‚ चौगान में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बैंड मधà¥à¤° धà¥à¤µà¤¨à¥€ में ठंडी ठंडी हवा बे चलदी हिलदे चीडां दे डालूवे कि धà¥à¤¨ बज रही थी डा. साहब à¤à¤• हाथ में हजामत का बà¥à¤°à¤¶ और दूसरे हाथ में हजामत का डिबà¥à¤¬à¤¾ उठाठहà¥à¤ नाटी का ठà¥à¤®à¤•à¤¾ लगाते हà¥à¤ ………….अहा ……….अहा………कहते हà¥à¤ आठहम दोनो को उदास सा देखते हà¥à¤ कहने लगे कà¥à¤¯à¤¾ बात हो रही है à¤à¤¾à¤ˆ बहन में| मैने कह दिया रबà¥à¤¬à¥‹ जी कह रही है कि à¤à¤¾à¤ˆ साहब मà¥à¤à¥‡ शिमला आकर बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤† पिता जी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ चाय बना रहे थे और सबà¥à¤œà¥€ à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ खरीदकर लाये| बेटी रबà¥à¤¬à¥‹ हिमाचल à¤à¤¸à¥‡ ही नही बनता …… इसके लिठबहà¥à¤¤ कà¥à¤› तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना पडà¥à¤¤à¤¾ है|
वासà¥à¤¤à¤µ में यह सतà¥à¤¯ था उन राजनैतिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¯à¥‹à¤‚ में तà¥à¤¯à¤¾à¤— उन जैसा महान तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी व नैता ही इन पथà¥à¤¥à¤°à¥‹ के ढेरो को आदरà¥à¤¶ पहाडी हिमाचल का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ दे सकता था |
उनका मानना था कि वह अनà¥à¤¯ जिलो का विकास करेगें ताकि अनà¥à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¥€ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में सà¤à¥€ जीलों का समान विकास करे| परनà¥à¤¤à¥ यह नही हो सका! दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ है कि पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में गरीबी के सà¥à¤¤à¤° में सरकारी आंकडो के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¥€ दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर है| और इसी गरीबी के चलते हजारो सिरमौरी आज à¤à¥€ शिमला व शिमला के आस पास के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹ में मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे है|