शंख को डंक

कहते हैं कि शत्रुओं के दिए संताप की उतनी पीड़ा नहीं होती जितनी अपनों के दिए दर्द से होती है.अपने शंख यानि राणा साहब के साथ भी कुछ ऐसा ही घट गया है. जनाब की मीडिया सलाहकार के तौर पर नियुक्ति हुयी थी इसलिए कि वोह विपक्ष पर हमला बोल कर उसे बैकफुट पर ला खड़ा कर दें.पर राणा जी ने विपक्ष का व्यापक अर्थ लगा लिया.

इसी धुन में पिछले दिनों उन्होंने हमीरपुर की विधायक उर्मिल ठाकुर पर तंज कस दिया.(राणा उन्हें भी विपक्षी समझते हैं). फ़िर क्या था ..उर्मिल ने ऐसा पलटवार किया कि राणा साहब ही बैकफुट पर आ खड़े हुए. बाकायदा उन्हें अपने उस तंज पर अखबारों में ब्यान जारी कर सफाई देनी पडी और कहना पड़ा कि वोह तो उर्मिल जी का खासा सम्मान करते हैं.हालाँकि इससे भी उर्मिल का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने चबूतरा में भरी सभा में यह कह डाला कि सम्मान करवाना तो उन्हें आता है पर राणा यह ख्याल रखें कि वोह पार्टी मैं उनकी बजह से हैं और उन्होंने ही राणा को अपने घर के बूथ पटलांदर से प्राथमिक सदस्य बनवाया था.

पर यहीं बस नहीं हुयी…उर्मिल का गुस्सा उतरने से पहले राणा पर हमीरपुर में एक और हमला हुआ. कांग्रेस के प्रवक्ता दीपक शर्मा ने राणा के एक रूपया वेतन लेने के ब्यान पर टिप्पणी की कि जनाब तो एक रूपये में भी मंहगे हैं.

बताते चलें कि जब दीपक पत्रकार थे तो दोनों खासे दोस्त थे. ऐसे में राणा पर एक नहीं दो-दो अपनों के डंक चुभने से जनाब आजकल पस्त हैं.उनके अखबारी बयानों पर अनजाने में ही ब्रेक लग गयी है.दिलचस्प बात यह है कि इस सारे मामले पर राणा को सूंघे सांप से भाजपा की ही एक मंडली खासी खुश है..उनका मानना है कि यदि यह चुप्पी बनी रही तो आगामी चुनावों के लिहाज़ से बेहतर होगा..क्योंकि यदि राणा बोले तो न जाने कब कौन सा नया बखेडा खड़ा हो जाए.

Tags from the story
, ,
Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.