हिमाचल की गोद में à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तथा शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ राजà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था जिसे सिरमौर के नाम से जाना जाता है | सिरमौर का अरà¥à¤¥ होता है सिर का ताज | वासà¥à¤¤à¤µ में यह रियासत गोरखा आकà¥à¤°à¤®à¤£ (1804-1815) से पूरà¥à¤µ शान और शकà¥à¤¤à¤¿ में पहाडी रियासतों की सरताज थी | गोरखों के आकà¥à¤°à¤®à¤£ से पूरà¥à¤µ इसकी सिमाà¤à¤‚ उतर में हाटकोटी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° (वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जिला शिमला) पूरà¥à¤µ में गंगा नदी, दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में नरायणगढ (जिला अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ हरियाणा) और पशà¥à¤šà¤¿à¤® में सतलà¥à¤œ नदी थी | गोरखों को पराजित करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने रियासत से जौनसार, बावर देहरादून, कालसी, नरायणगढ, कोटहा नà¥à¤¯à¥‹à¤¥à¤², जगतगढ, मोरनी हिल, पिनà¥à¤œà¥‹à¤° जैसे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ तथा जà¥à¤¬à¥à¤¬à¤², कोटखाई आदि बारह ठकà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¤¾à¤‚ इससे अलग कर दीं | यहां पर सिरमौर की अमिट छाप आज à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है |
यहां के लोग तथा राजा धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ के थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई मनà¥à¤¦à¤¿à¤° बनवाये, जिनमें कई अब रियासत के बाहर हैं | उनमें से शिमला जिलें का हाटकोटी का मनà¥à¤¦à¤¿à¤°, राजा मनà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ ने बनवाया, नरायणगढ का जगनà¥à¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° राजा कीरत पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ने, गढवाल में à¤à¤• मिनार बनवाया, तथा देहरादून गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ को कà¥à¤› गांव दिठहà¥à¤ थे | इस धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के पिछे यहां की à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ तथा पावन धरती पर उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था | यदि हम आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के इतिहास पर नजर डालें तो ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आरà¥à¤¯ लोग सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ तथा अपया (मारकणà¥à¤¡à¤¾) नदी के तट पर बसे | ये दोनो नदियां सिरमौर की पहाडियों से निकलती थी |
आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ ऋषि मारकणà¥à¤¡à¤¾, गौतम, कपिल, जमदगà¥à¤¨à¤¿ ऋषियों तथा à¤à¤—वान परशà¥à¤°à¤¾à¤® की यह तपोà¤à¥‚मि तथा करà¥à¤®à¤à¥‚मि रही है | यहां के राजाओं के गà¥à¤£à¤—ान पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ कहीं न कहीं मिलते हैं, परनà¥à¤¤à¥ उन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तथा समाज चालकों आदि अनेक परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ लोगों का इतिहास अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° के गरà¥à¤¤ में छिपा है | हिमालय का इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ समाज तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ इनà¥à¤¹à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ लोगों की अमूलà¥à¤¯ देन है | इस परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की कà¥à¤› अलग सी विशेषताà¤à¤‚ रहीं हैं | यहां हिनà¥à¤¦à¥ देवताओं के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वीरों तथा देवताओं की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ अधिक पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ थी | यहां के लोगों का रहन-सहन, खाना, पहरावा à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ था, यहां के मकानों की बनावट, लकडी पर चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥€ छत पर रोशनदान तथा मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कला मैदानों से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है | यहां पर पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ विधवा विवाह रीत तथा बहà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹à¥, दहेज का अà¤à¤¾à¤µ, लडके के पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤¤à¥à¤° के लिà¤, वधू के लिठवधू के घर जाकर उसे मांगना, बरात के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर वधॠपकà¥à¤· के लोगों को बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾ तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥‹à¤œ देना, तलाक की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾, विवाह रीति में सादापन तथा मितवà¥à¤¯à¤¯à¤¤à¤¾, सà¤à¥€ जातियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मांस à¤à¤•à¥à¤·à¤£ करना, नई के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ दिवाली मनाना, बडे तथा छोटे का समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पर अधिकर (जोढोंग तथा कनछोंग) खादà¥à¤¯ तथा वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• चीजों के अदान-पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€, जनà¥à¤® तथा मृतà¥à¤¯à¥ दोनों के समय में वादà¥à¤¯-यनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का बजान, परसà¥à¤ªà¤° à¤à¤—डों का गà¥à¤°à¤¾à¤® तथा à¤à¥‹à¤œà¥‹à¤‚ का खà¥à¤®à¤²à¥€ में निरà¥à¤£à¤¯ लेना, न मानने पर समाजिक बहिषà¥à¤•à¤¾à¤°, परसà¥à¤ªà¤° अनूठा सहयोग, उनके लोकगीत, गाथायें, परमà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ तथा समाजिक व धारà¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के आधार पर इसे अलग विशिषà¥à¤Ÿ पहाडी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° कहना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ न होगा | इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में सिरमौर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अगà¥à¤°à¤£à¥€ रहा है | यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° कमना, मदना, सामा, सिनà¥à¤§à¥‚, छिछा, नंतराम, जगदेव का देश रहा है|
यह पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ अछबूपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤®, हाकà¥à¤¸à¤¿à¤—टा, सिगरोऊ तथा पà¤à¥‹à¤¤à¤¾ वासियों की करà¥à¤®à¤à¥‚मि रहा है | जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राजाओं तथा उनके करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚, तथा मनमाने कà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ जन-आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का नेतृतà¥à¤µ किया | यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° मैना सूरमी, बिची, गाथू जैसी सती सावितà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का रहा है | सामादेई जैसी वीरागंनाओं का रहा है जिसने अपने पति का बदला सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपनी तलवार से लिया, यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° उन हजारों मूक वासियों का रहा है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पोषण किया और इनकी घाटियों, कनà¥à¤¦à¤°à¤¾à¤“ं, वनों, तथा पहाडों की चोटियों पर अमिट छाप छोड गये हैं, जो आज हमारी अमूलà¥à¤¯ धरोहर है, निधि हैं, गरà¥à¤µ की वसà¥à¤¤à¥ है | वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ यà¥à¤— में इसके निशान मिट रहें हैं, मृतपà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हैं, सिसक रहे हैं | इसके कà¥à¤› अवशेष अब केवल मेलों तथा तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में देखने को मिलते हैं |
dear mrng gift