Pratibha Patil’s 5 year Presidential reign from 2007 to 2012 was the most uneventful 5 year period in the history of the Rashtrapati Bahavan. When her tenure was over, all of India heaved a collective sigh of relief.
No other President has managed to garner such universal hatred. The only people who still pretend to respect her are the rest of the congress loyalist stooges just like her.
Here are 7 reasons why she was the worst President in Indian History.
7. She was Unworthy of the High Office in the First Place
Dr. Rajendra Prasad, Dr. Sarvepalli Radhakrishnan, Dr. A. P. J. Abdul Kalam; such are the names that have brought dignity to the office of the President and brought pride to every Indian. But Pratibha Patil was a nobody when she was selected to be the President. Nobody outside Maharashtra knew who she was. But that didn’t matter because she was well known to the Gandhi family. They say Indira Gandhi loved her Puran Poli. That might have qualified her to be the judge of the Indian Masterchef maybe, but the President of India? The truth is that she was chosen for her servility to the Congress high command.
6. She Used her Power to Help her Family
Even before she became the President she wasn’t an honest politician. You might say that there are no honest politicians but it was clearly known that she had always used her power to help her family. She started a Cooperative Bank that was shut down because it was giving loans to her family members on relaxed interest rates. After she became president she continued to help her son’s political career. While all politicians tend to favor their family, she could have restricted her abuse of power out of respect for her position as the first citizen of India.
5. Her Death Pardons
The only thing she did in her tenure was pardon death sentences without discrimination. While Pranab Mukherjee has decided to not pardon anyone, she had decided to pardon everyone. She pardoned many criminals who had committed brutal crimes, including rape and murder. While this can be attributed to her personal philosophy of forgiving every crime, it isn’t something to be proud of as the biggest achievement of her career.
4. Her Extensive Foreign Travels
When she was about to retire, jokes about her foreign travels started doing the rounds in Delhi. It was said that the people who would miss her most would be the pilots and crew of Air India. Another quip claimed that once she retires she’s taking a flight from Delhi to her home in Pune via Bali, Tahiti, Hawaii, California, Miami, Corfu and Dubai. All these jokes were made because of her extraordinary expenditure on foreign travel. She used her Presidency as a five year vacation paid for by Indian taxpayers like you and me.
3. Her Post Retirement Plans
Another black mark on her term as President came when she tried to grab defense land in Pune to build her retirement home. She then tried to get money from the government to refurnish and refurbish her home to prepare for her retirement. This is the condition of our President now when just a few decades ago Dr. Rajendra Prasad donated his own personal land to Vinoba Bhave.
2. She didn’t Live up to the Expectations from Our 1st Women President
When she became President, despite her unfamiliarity, many Indians were hopeful about the first women President of India. There were expectations to be fulfilled that she utterly failed at. During the last few weeks of her term as President there were horrible attacks on women and the whole issue of safety of women came to the fore. Our President was as mute as our Prime Minister.
1. She put Party before Country
In the end the only thing we can say is that she was just another paper pusher employed by the Congress Party. Between Manmohan Singh as Prime Minister and Pratibha Patil as President our nation’s rulers have never been so impotent. She never used her power as the President to question any of Congress’s actions. She just sat on her chair and signed where she was told to sign. That is the biggest reason why she is the worst President in Indian history.
Aditya Thakur is an ex marine engineer who quit his sailing career to pursue his dreams of being a writer. Now he freelances, blogs and writes short stories all day long.
All credits to be given to Great Soniaji who found merit in Pratibhaji to preside over the destiny of India. May be from an European prism it does not matter who is the President of India. For most of the Europeans, India to a large extent and the President of India to a specific interest is of “no interest”.
Pratibha patil is good and popular President of India.i proud of her. Foreign trip was government disigion. She was great soul. Real and great women of india.
Please don’t write and publish – the impression down novels. President is respect of our nation. Kalam was always respect the Pratibha patil. And pratibhaji also respected him. why you campare between indian Presidents. Many Maharashtraian people also respect pratibha patil.
And my opinion is congress is the reason of hate of Pratibha patil am i right? Its wrong. When any person become President then he/ she have no any party’s pressure.
Hence Indias all President was good and outstanding persanality.
Why chosen negative impact? Do you know Pratibha patil’s good work list?
Every country royal welcomed her, because she was became history, but when this time media was not seen either dd.
She take anti-rangging rule, she take membership of UNO. she take many disigion on women’s.
भारत के राजनीतिक मे किसी को बदनाम करने की सोची तो उसे जीवनसे ही उठा दिया जाता है, ये इस देश का दुर्भाग्य है। विरोधी पार्टियों के बजे से प्रतिभा पाटिल जीवनको सुरंग लग गया वो मिडिया से लेकर सोशल मीडिया तक फैला। वास्तविक रूप से इस भारत मे अच्छी खबर देने का प्रयास किया नही जाता। झूठ पर झूठ और आरोपे पे आरोप। कलामजी को हम बहुत इज्जत करते हैं क्योंकि वो महान थे। न जाने वो इस देश के राष्ट्रपति न बन जाते तो अच्छा होता क्योंकि वो राजनीति व्यक्ति नही थे । भारत मे तब से लेकर राष्ट्रपति – राष्ट्रपति मे तुलना करना शुरू हो गया।युवाओं के दिल में बसे कलाम जी इस देश की अच्छाई है पर क्या कलाम साहब कभी व्यक्ति व्यक्ति मे तुलना करते थे? तो आप भारतीय क्या सीख रहे हो? ये मालूम है की राजनीतिक दल अब किसीभी मुल्यो के आधार पर नही रहें चाहे वो काॅग्रेस हो या भाजपा! पर भारत के राजनीति के रंग बदल गये है, हवा जिस तरफ बह रही है उस तरफ लोग झुकने लगे है ये दुर्भाग्य है, अब प्रसार प्रचार की दुनिया आ गयी है, इसलिए कौन अच्छा और कौन बुरा ये फर्क लोगों के समझ मे नही आ रहा है। जहा तक सवाल है राष्ट्रपति पद का , पर इस पद पर बैठने वाली व्यक्ति किसीही पार्टियों की नही रह जाती यही तो सौभाग्य है भारतका! अब प्रतिभा पाटिल के बारे मै- ये मालूम है आपको किसी एक को गलत कहा तो दुसरो की भी नजरीया बदल जाता है। वैसी ही आदरनीय प्रतिभाजी साथ मे हो गया किसी मिडीया ने उनके खिलाफ भडकाया तो बाकी सभी जन भडके और इसका असर पूरे देश में हो गयी ।कितीनी गलती ? ये ठीक नही भारत मे महिलाओं आज भी सम्मान नही दिया जाता इसि का उदाहरण है राजनीति मे तो महिला को बदनाम किया जाता है ये दुर्भाग्य है। क्या आपको पता है कि प्रतिभा पाटिल का जीवन संघर्ष से भरा था? उनका जन्म महाराष्ट्र में एक छोटेसे गाव मै मिट्टी के घर में हुआ था उनकी माँ प्रतिभाजी के बचपन मे ही गुजर गयी थी तो घर और खेती की जिम्मेदारी उन पर पडी थी, तब भी वो पढाई मे पहली नंबर से आती थी उन्होंने कानून की पढाई पूरी की अपनी पैसो की गरबी थी पर बुद्धि की आमीरी थी। उन्होंने कुछ साल टिचर का काम किया ।बाद मे अपने काका के कहने पर वो राजनीति में आ गयी क्योंकि उनका भाषण सरल एव अच्छा था।उन्होंने शादी भी शिक्षक के साथ यानी की देवीसिंह शेखावत के साथ की। महाराष्ट्र की कही पदो की मंत्री रहने पर भी वो विधानसभा एव मंत्रालय मे एकही गाड़ी मे जाती थी तो कभी बस मे जाती थी। कभी कभी वो जब मंत्री थी तब अपने निजी गाड़ी मे गयी तो अपने ड्राइवर को पीछे बीठाके वो खूद गाड़ी चलती थी वही उनकी औरत की ढाढस का अंग है। मुंबई मे सब्जी मंडी मे वो अकेली अपने बच्चों के साथ जब वो जाती थी तब किसी की पता भी नहीं चलता था कि वो महाराष्ट्र की मंत्री है इतनी उनकी साधारण रहनी ।आज भी देखे भी उनके माथे पर घुगंट होता है जो भारत के संस्कृति की शान है जो आजके माॅडर्न महिलाओं को शरमाता है। वो महात्मा गांधी विचारोंसे प्रेरित थी इसलिए खादीकी साडी देश की संस्कृति को दुसरे देश मे इज्जत की प्रतिक दर्शता है। अब रही बात उनके राष्ट्रपति पद कार्यकाल की। ज्यादा सवाल किये जाते है उनके विदेशी यात्रा के। पर आपको पता है राष्ट्रपति नामधारी होता है उनको प्रधानमंत्री एव मंत्रीमंडल को पुछको निर्णय लेने पडते है।कलाम किसी राजनीतिक दल से नही आते थे।पर प्रतिभाजी तो राजनीति से आयी थी वो प्रथम भारतीय महिला राष्ट्रपति बनने से पूरे विश्व मैं चर्चित थी इसलिए उनके कार्यकाल मे सरकार ने विदेशी यात्रा की जिम्मेदारी उनपर ज्यादा डाली थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तब इतने प्रभावशील नही तब विदेशी करार प्रतिभाजी ही संभालती थी।और जब वो विदेश जाती थी तब उनका सम्मान पुर्व स्वागत होता था। पर तब मिडीया छिपा था सिवाय दूरदर्शन ही दिखाती थी। अब देखो मिडीया मोदी का दिनभर सेवा करती है , विदेशी यात्रा , अब मिडीया को यही महत्वपूर्ण लगता है, इसमे दिखावा ज्यादा है पर किसी किसानों की नही न्यूज दिखाते। प्रतिभा पाटिल जब राष्ट्रपति चुनाव में खड़ी थी तब विरोधी पार्टियों एनडीए और भाजपा ने उन्हें बहुत परेशान किया टिप्पणी करती रही, यही तो करती है विपक्ष इस देश मे , किसी को बदनाम करने के लिए इतनी गिर जाती है की पूछो ही मत कोई कोई भी आरोप लगाती है, तबभी प्रतिभाजी संयमी रही,और आज तक वही करती है इसै ही कहते विनम्रता वही भारत की पहेचान।
और भी सवाल आया आरोपीको को माफी ज्यादा प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल मे आ गया। इस का जवाब है की प्रतिभाजी गांधीजी के विचारों से सहमत थी तो फासी उनको मान्य नहीं थी तब फाँसी छोड़कर दुसरी कौन सी भी सजा दो ऐसा कहा था पर वो आतंकवादीयोके सक्त खिलाफ थी, उन्होंने दया अर्ज खारीज कीये थे इसलिए पूणे मे उनके खिलाफ आतंकवादीओने साजिश रखी थी तबसे राष्ट्रपति की सुरक्षा बढ़ा दि गयी थी। उनपर लगे आरोप गलत है विपक्ष की गलती है।
आप भारतीय यो ने उनके सकारात्मक गुण क्यों नही देखे? उनकी ही कार्यकाल मे भारत को यूनो की सदस्यता मिली थी। उनकी कहने पर देश मे आॅन्टी- रॅगिंग का कानून लाया गया था। उन्ही के ही कहने पर अब तक के सबसे ज्यादा महिला सशक्तीकरण के कार्यक्रम शुरू हो गये थे। उनके ही कार्यकाल मे भारत के राष्ट्रपति पद की गरिमा बढ़ी थी।उनके ही कार्यकाल मे लोगों को सूचना का अधिकार अधिनियम मिला वो सलाह प्रतिभा पाटिल ने ही तत्कालीन सरकारको दि थी।उनके के ही कार्यकाल मे साधारण लोग ज्यादा राष्ट्रपति भवन मे आये थे। तो क्या नही प्रतिभा पाटिल ने इस देश किया ? वो जैसी ढिंडोरा पिटने वाली राजनेता नही थी या दिखावा करने वाली नही थी यानी पब्लिसिटी करनी वाली नही थी! कलाम भी उन्हें इज्जत से पेशा थे वो उनको भारत की महिलाओं की ताकत कहते थे। अब इस देश को तुलना करने शौक लगा है। बहुत युवाओं मालूम भी नही होता कि राष्ट्रपति का अधिकार क्या है? राज्यसभा और लोकसभा मे फर्क क्या होता है? राज्य के राज्यपाल तथा भारत के उपराष्ट्रपति का क्या रोल एव कार्य क्या होते हैं? तथा उनके नाम भी मालूम नही होते, यही हमारे देश का दुर्भाग्य है और चलने लगे टिका टिप्पणी करने!
इस भारत मे महिला राजनीति मे 1947 से कोई भी महिला , प्रतिभा पाटिल जैसी संयमी और महान राजनेता नही है यही इतिहास कहता है। जिन के अच्छाई की विदोशी मे ही चर्चा होती पर भारत मे कमजोर लोग नकारात्मक विचारों से भरे है।
ये हमारा सौभाग्य है कि भारत के सभी राष्ट्रपति अच्छे ही थे महान थे। प्रतिभाजी पाटिल को आज भी महाराष्ट्र एव भारत के संयमी सकरात्मी लोग बहुत सम्मान देते है।प्रतिभा पाटिलजी एक महान आत्मा है और हमे उन के प्रती हमेशा गर्व और सम्मान ही रहेगा!
जयहिंद!
एक किसान का बेटा!
Yes.The lady has not done any notable work that people should remember. I’m from Maharashtra but I have never heard her name before presidency election. We taught in schools that the candidate for president should have done recognisable work in the field of art, culture, science and other fields that boosts nation development. Sadly we don’t have seen any quality.