पी ऐ जी के ठाठ

हिमाचल में इन दिनों सरकार के एक बड़े साहब के छोटे पी ए चर्चा का विषय बने हुए हैं. वैसे तो साहबों के पी ऐ पहले से ही सुपर बॉस माने जाते हैं लेकिन बीते एक साल में इन महाशय का जितनी तेज़ी से कायाकल्प हुआ है उतना तो शांता जी के “कायाकल्प ” में भी नहीं होता है.

जनाब जब तक पी ए नहीं थे तब तक स्वेदेशी जागरण मंच की नीति के अनुसार खादी वरण करते थे लेकिन आजकल प्रिंगल पहनने लगे हैं. साल भर पहले इस कदर फाकप्रस्ती का दौर उनपर भारी था कि खाने का समय होते ही परिचितों के घर टपक कर तृप्त होते थे पर अब पूरी टोली के साथ मंहगे रेस्तरां में दोपहर और शाम का खाना खाते हैं.

यही नहीं आजकल जनाब को मंहगे मोबाइल रखने का शौक भी चढ़ आया है. इनके साहब जो बड़े पी ए हैं के पास अभी भी 1200 रू. वाला मोबाइल है ,पर इन साहब के पास आजकल तीन-तीन मोबाइल हैं और सभी ब्लैकबेरी के बेशकीमती सेट हैं.

जाहिर है छोटे पी ए साहब के चौतरफा चर्चे हैं. अब देखना यह है कि अपने इस शौक पर यह जनाब सरकार का क्या-क्या कुर्बान करते हैं..?.आख़िर आगे चलकर छोटे पी ए के यह शौक बड़े साहब को ही मंहगे पड़ेंगे.

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